दशहरे के दिन यहां चलाई जाती है तोप, करते हैं हथियारों की पूजा, जानें वजह
Cannons are fired here on the day of Dussehra, they worship weaponsदशहरे के दिन यहां चलाई जाती है तोप, करते हैं हथियारों की पूजा, जानें वजह
Weapon Worship On Dashahara: दशहरे पर आमतौर पर शस्त्र पूजन किया जाता है। ऐसे में ऐतिहासिक अस्त्र और शस्त्रों की पूजा हर जगह देखने को नहीं मिलती। लेकिन ग्वालियर में वीरांगना लक्ष्मीबाई के शहीदी स्मारक की बड़ी शाला पर सन 1857 की क्रांति में इस्तेमाल किए गए अस्त्र शस्त्रों की पूजा हुई। और एक ऐतिहासिक तोप को चलाया गया। दरअसल सदियों गुजर गई वीरांगना की शहादत को इतिहास के पन्नों में हमने पढ़ा है कि सन 1857 की क्रांति किस तरह लड़ी गई थी। वह कौन से हथियार थे। जिन्हें वीरांगना का साथ देने के लिए शहीद साधु और संतों ने चलाया था।
Read More: प्रदेश के इन जिलों में भारी बारिश की संभावना, मौसम विभाग ने जारी किया अलर्ट…
हम आपको बता रहे हैं कि दशहरे के मौके पर ग्वालियर में वीरांगना लक्ष्मीबाई की समाधि स्थल के पास बनी प्राचीन गंगा दास जी की बड़ी शाला में इन अस्त्र और शस्त्र को आज भी सहेज कर रखा गया है। विधि विधान से इन सभी अस्त्र और शस्त्र ओं की पहले पूजा की जाती है और फिर इन्हें लोगों के दर्शनों के लिए रख दिया जाता है। कहा जाता है। युद्ध के दौरान सैकड़ों साधु शहीद हो गए। लेकिन उनके यह अस्त्र और शस्त्र आज भी ऐतिहासिक धरोहर के रूप में दशहरा के दिन पूजे जाते हैं। इनमें पटा, गुप्ती , फर्सा , कटार, सॉन्ग कुल्हाड़ी , बंदूक और एक छोटी तोप है।
जिसे पूजन के बाद हर साल चलाया जाता है। इस तोप को चलाने से पहले साफ किया जाता है। पूजा करने के बाद बारूद भरी जाती है और बारूद के साथ अन्य सामग्री को गज से ठोका जाता है। तोप को भर कर रख दिया जाता है। उसके बाद वर्तमान के कई संत जो तलवारबाजी में निपुण हैं। वह अपनी कला का प्रदर्शन करते हैं और फिर एक जयकारे के साथ धूप में चिंगारी लगा दी जाती है।

Facebook



