Face To Face Madhya Pradesh

Face To Face Madhya Pradesh: सियासी अखाड़े में ‘अखंड भारत’, आम जनमानस का टटोला जा रहा मन, क्या है BJP का अगला स्टेप?

Face To Face Madhya Pradesh: राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के बाद सनातनियों में अलग ही उत्साह है। पूरा देश राममय हो चुका है।

Edited By :   Modified Date:  January 23, 2024 / 10:11 PM IST, Published Date : January 23, 2024/10:04 pm IST

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अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के पहले पूरे देश में उत्साह, उमंग, उल्लास का जो माहौल बना उससे मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव भी नहीं बच पाए और नतीजा ये हुआ कि उन्हें अंखड भारत याद आने लगा है। उन्हें उम्मीद बंधने लगी कि पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में सिखों के पहले गुरु नानक देव की जन्मभूमि भी भारत का हिस्सा होगी, इतना ही नहीं दिल्ली से एक हजार किलोमीटर दूर काबुल भी अखंड भारत का हिस्सा होगा। लेकिन भावनाएं अपनी जगह पर अंतर्राष्ट्रीय कायदे कानून का अपना महत्व है।

लिहाजा नतीजा ये हुआ कि पाकिस्तान ने इसे गलत मानते हुए प्रतिक्रिया दी कि भारत में हिंदू विचारधारा का बढ़ता ज्वार धार्मिक सद्भाव और क्षेत्रीय शांति के लिए गंभीर खतरा है भारत के दो प्रमुख राज्यों उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री ने बाबरी मस्जिद के विध्वंस या राम मंदिर के उद्घाटन को पाकिस्तान के कुछ हिस्सों को पुनः प्राप्त करने की दिशा में पहला कदम बताया है।

तीसरी बार के विधायक से सीधे मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचने वाले मोहन यादव राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की पसंद माना जाता है। लेकिन जब अयोध्या में संघ प्रमुख मोहन भागवत छोटे विवादों को छोड़ने और सद्भाव और सहयोग की बात करते है ऐसे सीएम मोहन यादव के बयान से कुछ सवाल भी खड़े होते है। क्या डॉ मोहन यादव का बयान सोची समझी रणनीति है। क्या संघ के कहने पर डॉ मोहन यादव ने ये बयान दिया।

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Face To Face Madhya Pradesh: क्या यादव के बयान के जरिए संघ आम जनता का मन टोटलना चाहता है। अंतर्राष्ट्रीय नियम कायदों की जानकारी के बावजूद ये बयान दिया गया…सवाल ये भी है कि अखंड भारत का मुद्दा उठाने के लिए मोहन यादव को ही क्यों चुना गया। वैसे हमेशा से इस तरह के विचार का विरोध करने वाली कांग्रेस का कहना है कि मुख्यमंत्री डॉ यादव कम समय में लोकप्रिय होने की कोशिश कर रहे हैं। अखंड भारत की संकल्पना बीजेपी और RSS का पुराना मुद्दा रहा है..लेकिन अब भी बड़ा सवाल यही है कि देश के आंतरिक हालात और अंतर्राष्ट्रीय रिश्तों को देखते हुए क्या अखंड भारत संभव है ।

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