MadhyaPradesh Outsource Karmchari: आउटसोर्स और अस्थायी कर्मचारियों का महाक्रांति आंदोलन, जानिए क्या हैं मांगें और क्यों हो रहा है आंदोलन?
मध्य प्रदेश में नौकरियों में लागू ठेका प्रथा, कंपनी राज और अस्थायी व्यवस्था के विरोध में प्रदेशभर के कर्मचारियों ने आज यानी कि 12 अक्टूबर राजधानी भोपाल में 'महाक्रांति आंदोलन' की घोषणा की है।
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- मध्य प्रदेश में महाक्रांति आंदोलन की घोषणा
- ठेका प्रथा और कंपनी राज के विरोध में आंदोलन
- नियमित नौकरी और न्यूनतम वेतन की मांग
MadhyaPradesh Outsource Karmchari: मध्य प्रदेश में नौकरियों में लागू ठेका प्रथा, कंपनी राज और अस्थायी व्यवस्था के विरोध में प्रदेशभर के कर्मचारियों ने आज यानी कि 12 अक्टूबर राजधानी भोपाल में ‘महाक्रांति आंदोलन’ की घोषणा की है। इस आंदोलन में विभिन्न विभागों के बैंक मित्र, पंचायत चौकीदार, पंप ऑपरेटर, अंशकालीन भृत्य, स्वच्छाग्राही, राजस्व सर्वेयर और अन्य आउटसोर्स एवं अस्थायी कर्मचारी संगठन शामिल होंगे।
आंदोलन की प्रमुख मांगें:
– नियमित नौकरी और न्यूनतम ₹21,000 मासिक वेतन
– ठेका प्रथा और कंपनी राज को पूरी तरह समाप्त करना
– समान काम-समान वेतन नीति को तत्काल लागू करना
– अस्थायी और आउटसोर्स कर्मचारियों को नियमित करना
– बैंक ग्राहक सेवा केंद्रों से कंपनियों को हटाकर बैंक मित्रों को सीधे बैंक से जोड़ना और नियमित वेतन देना
आंदोलन का उद्देश्य
MadhyaPradesh Outsource Karmchari: आंदोलन का उद्देश्य मध्य प्रदेश में ठेका प्रथा और कंपनी राज को समाप्त करना है, जो कर्मचारियों के शोषण का एक प्रमुख कारण है। आंदोलन के आयोजकों का मानना है कि यह व्यवस्था कर्मचारियों के साथ अन्याय है और इससे उनकी आर्थिक स्थिति खराब होती है। आंदोलन के आयोजकों ने सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक निर्णय का हवाला दिया है, जिसमें कहा गया है कि लंबे समय से कार्यरत अस्थायी कर्मियों से कम वेतन पर नियमित कार्य कराना श्रमिक शोषण है। न्यायालय ने ‘समान काम-समान वेतन’ और सामाजिक सुरक्षा को कर्मचारियों का संवैधानिक अधिकार बताया है।
नियमितीकरण और न्यूनतम वेतन की मांग
MadhyaPradesh Outsource Karmchari: आंदोलन का आयोजन “ऑल डिपार्टमेंट आउटसोर्स, अस्थाई, अंशकालीन, ग्राम पंचायत कर्मचारी संयुक्त मोर्चा, मध्यप्रदेश” के संयुक्त बैनर तले किया जा रहा है। यह ‘महाक्रांति आंदोलन’ कल सुबह 10 बजे से अंबेडकर पार्क, तुलसी नगर, भोपाल में शुरू होगा। प्रदर्शनकारी प्रमुख रूप से नियमित नौकरी, न्यूनतम ₹21,000 मासिक वेतन और नौकरियों में लागू ठेका प्रथा व कंपनी राज को पूरी तरह समाप्त करने की मांग पुरजोर तरीके से उठाएंगे।
अन्याय के खिलाफ हल्ला बोल
मोर्चा के अध्यक्ष वासुदेव शर्मा ने बताया कि आंदोलन में प्रदेशभर से बड़ी संख्या में अस्थायी, आउटसोर्स और पंचायत कर्मचारी भोपाल में एकजुट होंगे। उन्होंने कहा, “यह आंदोलन केवल एक वर्ग का नहीं, बल्कि वर्षों से आर्थिक अन्याय झेल रहे प्रदेश के सभी शोषित और अस्थायी कर्मचारियों की साझा आवाज है। सुशासन की पहचान कर्मचारियों की मेहनत और निष्ठा का सम्मान है।”

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