Face To Face MP: ठेके पर दे दी ‘सरपंची’..जम्हूरियत की जय हो! क्या पद को गिरवी रखने का ये खेल केवल एक गांव में चला ?

Face To Face MP: ठेके पर दे दी 'सरपंची'..जम्हूरियत की जय हो! क्या पद को गिरवी रखने का ये खेल केवल एक गांव में चला ?

Face To Face MP: ठेके पर दे दी ‘सरपंची’..जम्हूरियत की जय हो! क्या पद को गिरवी रखने का ये खेल केवल एक गांव में चला ?

Face To Face MP/ Image Credit: IBC24

Modified Date: February 12, 2025 / 12:06 am IST
Published Date: February 12, 2025 12:06 am IST

भोपाल। Face To Face MP:  जम्हूरियत एक तर्जे हुकूमत है, जिसमें बंदों को गिना करते हैं..तौला नहीं करते और बंदे जब तौले नहीं जाते तो अकसर हल्के लोग वजनदार पदों पर आ बैठते हैं। यही हुआ नीचम के दाता गांव में जहां निर्वाचित सरपंच ने अपना पद एक ठेकेदार के हाथों गिरवी रख दी । ये घटना हमारे देश में लोकतंत्र की हकीकत करती है और कई सवाल खड़े करती है। जैसा कि, आपने सुना सिर्फ 500 रू के स्टांप पेपर में सरपंची एक ठेकेदार को सौंप दी जाती है। मामला बेहद बड़ा और हैरान करने वाला है। सवाल ये कि आखिर लोकतंत्र का ये कैसा मखौल है? क्या सरपंची किसी की जागीर है। सरपंच पद तो बेच दिया अब और क्या क्या बेचेंगे।  अजब मध्य प्रदेश से एक गजब मामला सामने आया है। ये मामला कुछ ऐसा है जिसे देखने के बाद आप भी कहेंगे सच में एमपी अजब है।

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दरअसल, नीमच के ग्राम पंचायत दांता की एक सरपंच कैलाशी बाई कच्छावा ने महज 500 रुपए के स्टांप पर गांव के एक ठेकेदार सुरेश गरासिया को सरपंची सौंप दी। जी हां आपने सही सुना इसके लिए बकायदा एक अग्रिमेंट भी तैयार किया गया था, जिसमें लिखा गया कि मनरेगा प्रधानमंत्री आवास योजना वाटरशेड समेत सभी सरकारी योजनाओं के कार्य अब सुरेश ही देखेंगे। सरपंच ने ये भी लिखा कि जब तक वो पद पर रहेंगी। तब तक सुरेश ही सभी कार्य करेंगे। किसी भी स्थिति में वो इसमें हस्तक्षेप नहीं करेंगी। ये अनुबंध 24 जनवरी को किया गया। इसमें गवाह के रूप में गांव के सदाराम मनालाल और सुरेश के हस्ताक्षर हैं साथ ही सरपंच की सील और हस्ताक्षर भी मौजूद हैं।

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Face To Face MP:  मामला कुछ ऐसा था जो सुर्खियों में आना लाजिमी था हुआ भी ऐसा ही इस पूरे कारनामे की पोल खुली और जांच बैठी जांच में पाया गया कि कैलाशीबाई ने अपने अधिकार ठेकेदार को सौंप दिए जो पंचायती राज व्यवस्था के खिलाफ हैं इसे जनहित के विरुद्ध मानते हुए उन्हें मध्य प्रदेश पंचायत राज और ग्राम स्वराज अधिनियम 1993 की धारा 40 के तहत सरपंच पद से हटा दिया गया है। फिलहाल सरपंच को तो हटा दिया गया, लेकिन जिस तरह ये पूरा खेल खेला गया उसने अजब गजब एमपी की बानगी गढ़ दी।

 

 


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