Contract Employees Regularization: संविदा कर्मचारियों का होगा नियमितीकरण ? राज्य सरकार ने बनाई नीति, परीक्षा में 50 फीसदी अंक जरूरी, फिर क्यों हो रहा विरोध जानें
Contract employees regularization: संविदा नीति के खिलाफ अब संविदा कर्मचारियों ने मोर्चा खोल दिया है। उन्होंने मांग की है कि यदि संविदा नीति में संशोधन नहीं किया जाएगा तो जल्द प्रदेश में संविदा कर्मचारी बड़े आंदोलन करेंगे।
- संविदा नीति के खिलाफ प्रदर्शन
- नीति को बताया कर्मचारियों के साथ छलावा
- नियमित होने के लिए परीक्षा में 50% नंबर लाना होगा
- विभाग के संविदा कर्मियों के अनुपात में 50% आरक्षण
- संविदा कर्मचारियों ने बड़े आंदोलन की दी चेतावनी
भोपाल: MP contract employees regularization, मध्य प्रदेश में संविदा नीति के खिलाफ संविदा कर्मचारियों ने हल्ला बोल दिया है। प्रदेश के हर जिला मुख्यालय में प्रदर्शन किया गया। संविदा कर्मचारियों ने सरकार का ध्यान आकर्षित करने के लिए थाली, घंटी और झांझ मंजीरा बजाया। कर्मचारी संगठनों ने नीति को संविदा कर्मचारियों के साथ छलावा बताया और कहा नियमितीकरण का जो वादा भाजपा सरकार ने चुनाव के पहले किया था वह पूरा करें। देखिए IBC24 की ये स्पेशल रिपोर्ट
संविदा कर्मचारी रामाश्रय ने अपना दर्द बयां करते हुए बताया कि नौकरी के कुछ ही साल बचे हैं, लेकिन नियमितीकरण की नीति के कारण अब शायद उन्हें संविदा कर्मचारी पद से ही रिटायर्ड होना पड़े। उनके तीन बच्चे हैं, और पढ़ाई से लेकर उनकी शादी के लिए वह चिंतित हैं। उन्हें ना नियमित कर्मचारियों की तरह भत्ते मिल रहे और ना ही अवकाश।
वहीं संविदा कर्मचारी राजकुमार बीते 28 साल से राज्य शिक्षा केंद्र में 4th क्लास के पद पर नौकरी कर रहे हैं। उन्होंने लोन लेकर अपने दो बच्चों की पढ़ाई कराई। उन्हें उम्मीद थी कि वह नियमित होंगे तो आर्थिक स्थिति ठीक होगी। नौकरी के 8 साल बच्चे हैं लेकिन अब उन्हें उम्मीद नहीं लग रही है कि उन्हें नियमित किया जाएगा। अब इस पूरे मामले को समझ लेते हैं।
शिवराज सरकार के दौरान संविदा कर्मचारियों को नियमित करने का वादा
Contract Employees Regularization दरअसल, शिवराज सरकार के दौरान संविदा कर्मचारियों को नियमित करने का वादा किया गया था। इसको लेकर नीति भी बनाई गई, इस नीति में 50 फीसदी संविदा कर्मचारियों को आरक्षण का लाभ तो दिया गया, लेकिन संविदा के पद या निकाले गए नियमित पद, दोनों में से जो कम होगा उसका 50 प्रतिशत आरक्षण दिया जाएगा। कई विभागों में संविदा के पद ही नहीं हैं इसलिए जो नियमित भर्ती निकलती है उसमें आरक्षण शून्य हो जाएगा। इसके अलावा नियमित होने के लिए परीक्षा में 50 फीसदी अंक लाना भी जरूरी किया गया।
पूरे प्रदेश भर में बड़े आंदोलन की चेतावनी
इसको लेकर संविदा कर्मचारियों ने हर जिले में घंटी, थाली, चम्मच, झांझ मंजीरा, लोटा बजाकर प्रदर्शन किया।भोपाल में राज्य शिक्षा केंद्र के सामने प्रदर्शन हुआ। मध्य प्रदेश संविदा कर्मचारी अधिकारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष रमेश राठौर ने बताया कि सरकार का ध्यान आकर्षित करने के लिए प्रदर्शन किया गया। यदि संविदा नीति को ठीक नहीं किया गया तो आगे पूरे प्रदेश भर में बड़ा आंदोलन किया जाएगा।
संविदा कर्मचारियों के प्रदर्शन को लेकर सियासत शुरू
वहीं संविदा कर्मचारियों के प्रदर्शन को लेकर सियासत भी शुरू हो गई। सरकार के कैबिनेट मंत्री विश्वास सारंग ने कहा कि कर्मचारियों का हित का ध्यान सरकार रख रही है। वहीं कांग्रेस नेता डॉ महेंद्र सिंह चौहान ने कहा कि सरकार ने जो वादे संविदा कर्मचारियों से किए थे उसे पूरे नहीं किए, कांग्रेस सभी कर्मचारियों के साथ खड़ी है।
संविदा नीति के खिलाफ अब संविदा कर्मचारियों ने मोर्चा खोल दिया है। उन्होंने मांग की है कि यदि संविदा नीति में संशोधन नहीं किया जाएगा तो जल्द प्रदेश में संविदा कर्मचारी बड़े आंदोलन करेंगे। कर्मचारियों ने सरकार का ध्यान आकर्षित करने के लिए सांकेतिक प्रदर्शन किया, लेकिन आने वाले समय में प्रदेश की प्रशासनिक व्यवस्था भी इन कर्मचारियों की वजह से बिगड़ सकती है।
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