शह मात The Big Debate: सांदीपनि, शबरी..सनातनी.. नामकरण पर क्यों तनातनी? कन्या शिक्षा परिसरों और सीएम राइज स्कूलों के नाम बदलने से कांग्रेस को क्यों है ऐतराज? देखिए ये वीडियो

Congress objects to changing the names of Kanya Shiksha Parisars and CM Rise Schools

शह मात The Big Debate: सांदीपनि, शबरी..सनातनी.. नामकरण पर क्यों तनातनी? कन्या शिक्षा परिसरों और सीएम राइज स्कूलों के नाम बदलने से कांग्रेस को क्यों है ऐतराज? देखिए ये वीडियो
Modified Date: September 11, 2025 / 12:24 am IST
Published Date: September 10, 2025 11:59 pm IST

भोपालः MP News मध्यप्रदेश की मोहन सरकार ने प्रदेश में संचालित कन्या शिक्षा परिसरों का नाम “माता शबरी आवासीय कन्या शिक्षा परिसर” क्या किया कि सूबे में कांग्रेस-बीजेपी के बीच जुबानी जंग छिड़ गई और इसके कई मायने निकाले जाने लगे। क्या है पूरा माजरा समझते हैं इस खबर के जरिए..

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MP News  सीएम राइज स्कूलों का नाम सांदीपनि स्कूल रखने के बाद अब एमपी की मोहन सरकार ने जनजातीय बालिकाओं की शिक्षा को लेकर एक बड़ा कदम उठाया है। जनजातीय कार्य विभाग की ओर से संचालित कन्या शिक्षा परिसरों का नाम अब “माता शबरी आवासीय कन्या शिक्षा परिसर” होगा। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने शहडोल यात्रा के दौरान इसकी घोषणा की थी, जिसे अब सरकार ने अमलीजामा पहना दिया है।  इधर नया नामकरण हुआ तो सूबे में सियासी घमासान भी छिड़ गया। बीजेपी का दावा है कि माता शबरी के नाम से जुड़े – ये शिक्षा परिसर जनजातीय बालिकाओं को न केवल शिक्षा बल्कि आत्मविश्वास और सम्मान की नई पहचान देंगे तो कांग्रेस निशाना साधते हुए कह रही है कि – नाम बदलने से क्या आदिवासियों पर अत्याचार कम हो जाएंगे ?

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कुलमिलाकर एमपी की मोहन सरकार ने एक तीर से कई निशाने साध लिए हैं। जहां एक ओर इसे हिंदू पहचान की बड़ी आइडेंडिटी के तौर पर देखा जा रहा है तो कुछ सियासी पंडितों का मानना है कि- ये ‘उमंग सिंघार के आदिवासी हिंदू नहीं है”। वहीं बीजेपी का फोकस एमपी में आदिवासियों के 21 फीसदी वोट बैंक पर पकड़ बनाने पर भी है, लेकिन कांग्रेस, आदिवासियों पर अत्याचार के आरोपों की याद दिलानेे से नहीं चूक रही है।


लेखक के बारे में

सवाल आपका है.. पत्रकारिता के माध्यम से जनसरोकारों और आप से जुड़े मुद्दों को सीधे सरकार के संज्ञान में लाना मेरा ध्येय है। विभिन्न मीडिया संस्थानों में 10 साल का अनुभव मुझे इस काम के लिए और प्रेरित करता है। कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय से इलेक्ट्रानिक मीडिया और भाषा विज्ञान में ली हुई स्नातकोत्तर की दोनों डिग्रियां अपने कर्तव्य पथ पर आगे बढ़ने के लिए गति देती है।