School Viral Video: ना छत, ना दीवार, सिर्फ़ आसमान! MP में भगवान भरोसे शिक्षा व्यवस्था, इस जिले में पेड़ के नीचे पढ़ने को मजबूर बच्चे

मध्यप्रदेश के आदिवासी जिला डिंडौरी में शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह भगवान भरोसे चल रही है।

School Viral Video: ना छत, ना दीवार, सिर्फ़ आसमान! MP में भगवान भरोसे शिक्षा व्यवस्था, इस जिले में पेड़ के नीचे पढ़ने को मजबूर बच्चे

dindori news/ image source: IBC24

Modified Date: December 27, 2025 / 10:01 pm IST
Published Date: December 27, 2025 9:35 pm IST
HIGHLIGHTS
  • खुले आसमान के नीचे पढ़ाई
  • जर्जर स्कूल भवन तोड़े गए
  • वैकल्पिक व्यवस्था नदारद

Dindori Education Crisis: डिंडौरी: मध्यप्रदेश के आदिवासी जिला डिंडौरी में शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह भगवान भरोसे चल रही है। कहीं अस्पताल में स्कूल संचालित हो रहा है, तो कहीं बिना भवन के पाठशालाएं चल रही हैं। हैरानी की बात ये है कि कई जगह बच्चों को झोपड़ी, पेड़ के नीचे या खुले आसमान के नीचे पढ़ने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।

जर्जर स्कूल भवन तोड़े गए

शिक्षा विभाग के ही आंकड़ों के मुताबिक जिले में 500 से अधिक स्कूल या तो जर्जर घोषित किए जा चुके हैं या फिर डिस्मेंटल कर दिए गए हैं। लेकिन बड़ा सवाल ये है कि जब भवन तोड़ दिए गए, तो बच्चों की पढ़ाई के लिए स्थायी वैकल्पिक व्यवस्था क्यों नहीं की गई? आज हम आपको दिखाएंगे एक ऐसे ही भवन विहीन सरकारी स्कूल की हकीकत, जहां खुले आसमान के नीचे बच्चों का भविष्य गढ़ा जा रहा है।

वैकल्पिक व्यवस्था नदारद

Dindori Education Crisis: ये तस्वीर जिले के मेंहदवानी विकासखंड के नेटी टोला की है। यहां की प्राथमिक शाला पूरी तरह भवन विहीन हो चुकी है। एक साल पहले स्कूल भवन को जर्जर बताकर डिस्मेंटल कर दिया गया, लेकिन इसके बाद कोई ठोस वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की गई। नतीजा ये है कि यहां पढ़ने वाले 37 बच्चे कभी झोपड़ी के नीचे, कभी पेड़ की छांव में तो कभी किराए के मकान में पढ़ने को मजबूर हैं।

 ⁠

ग्रामीणों की शिकायतें अनसुनी

Dindori Education Crisis: स्कूल में पदस्थ शिक्षक बताते हैं कि भवन टूटने के बाद से अब तक बच्चों को स्थायी रूप से बैठकर पढ़ने की सुविधा नहीं मिल पाई है। तस्वीरों में आप देख सकते हैं लकड़ी के सहारे टंगी एक घड़ी, जो बीते एक साल से समय तो गिन रही है, लेकिन सिस्टम की सुस्ती पर सवाल खड़े कर रही है। जब हमारी टीम मौके पर पहुंची, तो ग्रामीण बड़ी संख्या में स्कूल पहुंच गए। ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने स्थानीय स्तर से लेकर जिला प्रशासन तक कई बार शिकायत की, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।

प्रशासन ने सुधार का आश्वासन

नेटी टोला की इस प्राथमिक शाला को लेकर शिक्षा विभाग के अधिकारी भी गोलमोल जवाब देते नजर आ रहे हैं। इलाके के बीआरसी का कहना है कि वैकल्पिक व्यवस्था की गई है, लेकिन जमीनी हकीकत ये है कि 37 बच्चों को आज तक एक स्थायी जगह पर बैठकर पढ़ने का मौका नहीं मिला। वहीं मामले में जिला कलेक्टर अंजू पवन भदौरिया ने जल्द व्यवस्था दुरुस्त करने की बात कही है।

इन्हें भी पढ़ें :-


सामान्यतः पूछे जाने वाले प्रश्नः

लेखक के बारे में

पत्रकारिता और क्रिएटिव राइटिंग में स्नातक हूँ। मीडिया क्षेत्र में 3 वर्षों का विविध अनुभव प्राप्त है, जहां मैंने अलग-अलग मीडिया हाउस में एंकरिंग, वॉइस ओवर और कंटेन्ट राइटिंग जैसे कार्यों में उत्कृष्ट योगदान दिया। IBC24 में मैं अभी Trainee-Digital Marketing के रूप में कार्यरत हूँ।