मालवा-निमाड़ और ग्वालियर-चंबल क्षेत्रों में बढ़त ने मध्य प्रदेश में भाजपा की जीत में योगदान दिया |

मालवा-निमाड़ और ग्वालियर-चंबल क्षेत्रों में बढ़त ने मध्य प्रदेश में भाजपा की जीत में योगदान दिया

मालवा-निमाड़ और ग्वालियर-चंबल क्षेत्रों में बढ़त ने मध्य प्रदेश में भाजपा की जीत में योगदान दिया

:   Modified Date:  December 4, 2023 / 07:03 PM IST, Published Date : December 4, 2023/7:03 pm IST

(अनिल दुबे)

भोपाल, चार दिसंबर (भाषा) मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की शानदार जीत के पीछे राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण मालवा-निमाड़ और ग्वालियर-चंबल क्षेत्रों में उसका प्रभावशाली प्रदर्शन प्रमुख कारकों में से एक है।

भाजपा ने रविवार को मध्य प्रदेश विधानसभा की 230 में से 163 सीट जीतकर दो-तिहाई बहुमत हासिल कर लिया, जबकि कांग्रेस सिर्फ 66 सीट पर सिमट गई।

उसने 15 जिलों में फैले मालवा-निमाड़ क्षेत्र के कुल 66 विधानसभा क्षेत्रों में से 48 में जीत हासिल की। 2018 की तुलना में उसे 20 सीट का फायदा हुआ, जबकि कांग्रेस की संख्या 17 रह गई। रतलाम जिले की सैलाना सीट भारत आदिवासी पार्टी ने जीती है। आदिवासी पार्टी राज्य की राजनीति में एक नयी पार्टी है।

2018 के विधानसभा चुनाव में, मालवा-निमाड़ और ग्वालियर चंबल क्षेत्र ने कांग्रेस का भारी समर्थन किया था, जिसने सत्ता हासिल करने के लिए उस समय राज्य में उसने 114 सीट जीती थीं।

पिछले चुनाव में, कांग्रेस ने मालवा निमाड़ इलाके के 35 निर्वाचन क्षेत्रों में जीत हासिल की थी, जबकि भाजपा की संख्या 2013 में जीती गई 57 सीट से घटकर 28 रह गई थी।

इंदौर-1 सीट से जीतने वाले भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय मालवा निमाड़ से एक प्रमुख चेहरा रहे हैं।

भारतीय जनता पार्टी ने ग्वालियर-चंबल क्षेत्र की 34 सीट में से आधी से अधिक सीट जीतीं, जहां पूर्व कांग्रेस राजनेता और वर्तमान केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का प्रभाव है। लेकिन जो लोग 2020 में कांग्रेस से बगावत करके पार्टी में शामिल हुए थे, उनमें से कई को इस चुनाव में धूल चाटनी पड़ी।

2018 के चुनाव में जब सिंधिया कांग्रेस में थे तो कांग्रेस ने ग्वालियर-चंबल क्षेत्र की 34 में से 26 सीट जीती थीं। 2023 के चुनाव में कांग्रेस ने सिंधिया की गैरमौजूदगी में 10 सीट भाजपा के हाथों गंवा दीं। भाजपा के पास अब ग्वालियर चंबल से 18 विधायक हैं। उसे बसपा की एक सीट का भी फायदा हुआ है।

इस क्षेत्र के प्रमुख चेहरों में केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने मुरैना जिले की दिमनी सीट जीत ली, लेकिन वरिष्ठ भाजपा नेता और राज्य के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा अपने गृह क्षेत्र दतिया में हार गये।

इस बार, भाजपा ने मध्य प्रदेश के सभी प्रमुख क्षेत्रों– बुंदेलखंड, विंध्य, महाकौशल और मध्य क्षेत्र (भोपाल और नर्मदापुरम संभाग) शामिल हैं, में अलग-अलग संख्या में सीट जोड़ीं।

भाजपा ने 26 सीट वाले बुंदेलखंड क्षेत्र में कांग्रेस से चार सीट छीन लीं। अब उसकी सीट बढ़कर 21 हो गईं।

कुल मिलाकर 38 खंडों वाले महाकोशल क्षेत्र में, भाजपा ने अपनी पिछली सीट में आठ सीट जोड़ ली हैं, जिससे नवीनतम सीट की संख्या 21 हो गई है, जबकि कांग्रेस की संख्या पिछली 24 से घटकर 17 हो गई है। कांग्रेस प्रमुख कमलनाथ का निर्वाचन क्षेत्र छिंदवाड़ा इसी क्षेत्र में आता है।

केंद्रीय मंत्री और भाजपा के आदिवासी चेहरे फग्गन सिंह कुलस्ते मंडला जिले की निवास सीट हार गए, जबकि उनके कैबिनेट सहयोगी प्रह्लाद सिंह पटेल महाकौशल के नरसिंहपुर निर्वाचन क्षेत्र से विजयी हुए।

तीस विधानसभा क्षेत्रों वाले विंध्य क्षेत्र में भाजपा ने 25 सीट पर जीत हासिल की है, जबकि एक कांग्रेस से छीन ली है। कांग्रेस की कुल सीट अब पांच हो गई है।

भाजपा नेता और लोकसभा सदस्य गणेश सिंह विंध्य के सतना विधानसभा क्षेत्र से हार गए।

मध्य क्षेत्र में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा प्रतिनिधित्व की जाने वाली हाई-प्रोफाइल बुधनी सीट सहित 36 विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं, वहां भाजपा ने कांग्रेस से सात सीट छीनकर कुल 31 सीट जीती हैं।

मध्य क्षेत्र में कांग्रेस का संख्याबल, जिसमें भोपाल और नर्मदापुरम राजस्व मंडल शामिल हैं, 2018 में 12 की तुलना में इस बार घटकर पांच हो गया।

भाजपा को इस बार 48.55 फीसदी वोट मिले हैं, जो 2018 की तुलना में सात फीसदी से ज्यादा है। 2018 के चुनाव में पार्टी को 41.02 फीसदी वोट मिले थे।

दूसरी ओर, कांग्रेस का वोट शेयर 40.89 प्रतिशत (2018) के मुकाबले लगभग 40.40 प्रतिशत पर ही रहा, जबकि उसकी सीट 114 से गिरकर 66 सीट पर आ गईं।

भाषा दिमो राजकुमार

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)