If there is a riot in Madhya Pradesh, then the property will be royalty

मध्यप्रदेश में अब दंगाइयों की खैर नहीं! दंगा किया तो संपत्ति होगी राजसात, जनता को नए कानून का कितना मिलेगा फायदा?

If there is a riot in Madhya Pradesh, then the property will be royalty

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:57 PM IST, Published Date : December 22, 2021/11:11 pm IST

भोपालः एमपी विधानसभा के शीतकालीन सत्र का तीसरा दिन भी हंगामेदार रहा। बिजली बिल और खाद संकट के मुद्दे पर विपक्ष ने वॉकआउट भी किया। इन सबके बीच सरकार ने सदन में ‘लोक एवं निजी संपत्ति नुकसान निवारक एवं नुकसान वसूली अधिनियम-2021’ पेश किया। यूपी की तर्ज पर एमपी में ये कानून बनाया जा रहा है। जिसके तहत प्रदर्शन के दौरान किसी सरकारी या निजी चल-अचल संपत्ति को नुकसान पहुंचाया तो उनसे नुकसान की राशि वसूल कर मालिक को दी जाएगी। जरूरत पड़ने पर आरोपी की संपत्ति कुर्क करने का प्रावधान भी है। बीजेपी जहां इस कानून का समर्थन कर रही है तो कांग्रेस इसके दुरुपयोग की आशंका जता रही है।

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जी हां मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार दंगाइयों के खिलाफ सख्त कानून ला रही है। इसके तहत दंगे फसाद और आंदोलन के दौरान सरकारी और निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों से सरकार हर्जाना वसूलेगी। इसके लिए बीजेपी सरकार ने बुधवार को सदन में ‘लोक एवं निजी संपत्ति नुकसान निवारक एवं नुकसान वसूली अधिनियम-2021’ पेश किया। गुरुवार को इसपर चर्चा होने के बाद कानून लागू हो जाएगा। मध्यप्रदेश देश का तीसरा राज्य होगा, जहां इस तरह का कानून लाया गया है। इससे पहले यूपी और हरियाणा में ये कानून लागू है।

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नए कानून के तहत यदि सांप्रदायिक दंगे, हड़ताल, जुलूस और विरोध प्रदर्शन के दौरान अगर किसी ने सरकारी या निजी चल-अचल संपत्ति को नुकसान पहुंचाया, तो उनसे इतनी ही राशि की वसूल कर मालिक को दी जाएगी। जरूरत पड़ने पर आरोपी की संपत्ति कुर्क करने का प्रावधान भी है। इसका उद्देश्य उन आंदोलनकारियों को रोकना होगा, जो सरकारी और निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाते हैं। निर्दोषों पर पत्थर फेंकते हैं। आंदोलन के नाम पर तोड़फोड़ करते हैं।

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राज्य सरकार क्लेम ट्रिब्यूनल का गठन करेगी, जिसका अध्यक्ष रिटायर्ड जज को बनाया जाएगा। जिसका अधिकार क्षेत्र प्रदेश के सभी जिलों तक रहेगा। ट्रिब्यूनल के आदेश को हाईकोर्ट में ही चैलेंज किया जा सकेगा.. बीजेपी नेता जहां इस कानून का समर्थन कर रहे हैं तो कांग्रेस इसके दुरूपयोग को लेकर भी आशंका जता रही है।

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उत्तरप्रदेश में ये कानून 2020 में ही बन गया है जबकि हरियाणा ने 2021 में इस एक्ट को लागू किया है। हालांकि दोनों ही राज्यों में इस कानून के तहत अबतक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। बहरहाल मध्यप्रदेश में यूपी का मॉडल कितना कारगर होता है। ये बड़ा सवाल है साथ ही ये भी देखना होगा कि नए कानून का फायदा जनता को मिल भी पाता है या फिर इसका इस्तेमाल सिर्फ सियासी हथियार की तरह होगा।