शह मात The Big Debate: लैंड माफिया वाला एंगल.. सवाल, आरोप, दंगल! स्वच्छ इंदौर के डर्टी अध्याय, क्या सरकार की सुशासन की मंशा पर प्रशासन हावी है?
लैंड माफिया वाला एंगल.. सवाल, आरोप, दंगल! Indore tragedy has once again sparked a political firestorm in the state
भोपालः MP News एमपी की औद्योगिक राजधानी इंदौर में हुए हादसों पर एक बार फिर सूबे में सियासी घमासान भी छिड़ गया है। चार हादसे अपना खौफ खुद बयां कर रही हैं और सिस्टम की नीयत पर सवाल खड़े कर रही हैं। पहली मामला एक तीन मंजिला इमारत की है जो 22 सितंबर को ढह गई और दो लोगों की मौत हो गई तो 15 सितंबर को इंदौर में नो एंट्री में ट्रक के घुसने पर हाईकोर्ट और मानवाधिकार आयोग ने स्वतः संज्ञान लेते हुए सरकार से रिपोर्ट तलब की। वहीं18 सितंबर को शुक्ला ब्रदर्स की बस ने इंदौर-उज्जैन में 4 लोगों को कुचल दिया था और 31 अगस्त को MY अस्पताल में चूहे के कुतरने के बाद 2 मासूमों की मौत हो गई, जिस पर हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया और पूछा कि FIR क्यों दर्ज नहीं की गई।
MP News इंदौर में हुए इन हादसों के बाद जहां सिस्टम कटघरे में है और इसके चलते सरकार की किरकिरी हो रही है तो कांग्रेस इन हादसों के बहाने बीजेपी को घेरने से पीछे नहीं रही। पीसीसी चीफ जीतू पटवारी ने सीधा आरोप लगाया कि- इंदौर में भू माफ़िया, गुंडों और बदमाशों का आतंक बढ़ता जा रहा है। जहां पटवारी ने हादसों की बिसात पर सियासी माइलेज लेने के लिए सरकार के खिलाफ आक्रामकता दिखाई तो मोहन सरकार के हाजिर जवाब और कद्दावर मंत्री कैलाश विजवर्गीय ने जीतू पटवारी के जनरल नॉलेज पर ही सवाल खड़े कर दिए।
कुल मिलाकर इंदौर में लगातार हो रहे हादसों पर सियासी नूराकुश्ती जारी है। कांग्रेस सिस्टम के बहाने सरकार की घेराबंदी कर रही है तो बीजेपी अपना बचाव करती नजर आई, लेकिन सवाल ये कि- क्या सिस्टम का नकारापन, सरकार की सुशासन वाली इमेज पर डेंट लगा रहा है?क्या प्रशासन जनता के प्रति अपनी जवाबदेही नहीं निभा पा रहा है..और सवाल ये कि इन हादसों का असल जिम्मेदार कौन है? क्या जनता की जान की कोई कीमत नहीं है? क्या जिम्मेदारों के खिलाफ कठोर कार्रवाई होगी?

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