Today is the 143rd birth anniversary of Shaheed Birsa Munda
जबलपुर। देश की आजादी की लड़ाई में बलिदान देने वाले आदिवासी समाज के क्रांतिकारी नेता अमर शहीद बिरसा मुंडा की 143 वीं जयंती धूमधाम से मनाई जा रही है। बिरसा मुंडा (Birsa Munda Jayanti) एक लोक नायक और मुंडा जनजाति के आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी थे। 19वीं शताब्दी की शुरुआत में ब्रिटिश उपनिवेशीकरण के तहत बिहार और झारखंड बेल्ट में उठे सहस्राब्दी आंदोलन के पीछे वे एक अगुआ थे।
मुंडा ने आदिवासियों को ब्रिटिश सरकार द्वारा भूमि हड़पने के खिलाफ लड़ने के लिए ललकारा, जो आदिवासियों से बंधुआ मजदूरों की तरह काम करवाते थे ‘धरती आबा’ या पृथ्वी पिता के रूप में जाने जाने वाले बिरसा मुंडा ने आदिवासियों को अपने धर्म का अध्ययन करने और अपनी सांस्कृतिक जड़ों को न भूलने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने अपने लोगों को अपनी भूमि के मालिक होने और उन पर अपना अधिकार जताने के महत्व को महसूस करने के लिए प्रभावित किया।
जबलपुर में इस अवसर पर अखिल भारतीय आदिवासी शबरी महासंघ ने अधारताल तिराहे पर लगी बिरसा मुंडा की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धासुमन अर्पित किया। बिरसा मुंडा की जयंती में शामिल हुई आदिवासी नेता और मध्य प्रदेश की पूर्व मंत्री कौशल्या गोंटिया ने कहा कि बिरसा मुंडा ने आदिवासियों के हकों के लिए आखिरी दम तक लड़ाई ली। उसके बाद आदिवासियों पर किसी ने ध्यान नहीं दिया, आज आलम ये है कि आदिवासी परेशान है। दूसरे उनकी जमीनों और हको पर कब्ज़ा कर रहे हैं। अब आदिवासियों के एक जुट होने का समय आ गया है, जिससे कोई उनका शोषण न कर सके।
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