Jabalpiur E-Attendance News: क्या भूतों को दी जा रही 90 लाख रुपये सैलरी?.. इस नियम के लागू होते ही गायब हुए 600 कर्मचारी.. कांग्रेस को मिला बड़ा मुद्दा
Jabalpiur E-Attendance News: नगर निगम आयुक्त रामप्रकाश अहिरवार का कहना है कि लापता कर्मचारियों को नोटिस जारी कर दिए गए हैं और जब तक उनकी ई-अटेंडेंस दर्ज नहीं होती, तब तक वेतन जारी नहीं किया जाएगा।
Jabalpiur E-Attendance News || Image- IBC24 News Archive
- ई अटेंडेंस से उजागर हुआ बड़ा निगम घोटाला
- 600 से ज्यादा कर्मचारी अचानक गायब
- कांग्रेस ने भ्रष्टाचार का लगाया गंभीर आरोप
Jabalpiur E-Attendance News: जबलपुर: नगर निगम में ई-अटेंडेंस व्यवस्था लागू होते ही एक बड़ा और चौंकाने वाला मामला सामने आया है। बायोमैट्रिक फेस रिकग्निशन आधारित उपस्थिति अनिवार्य होने के बाद निगम से 600 से अधिक कर्मचारी अचानक गायब हो गए हैं। इस खुलासे के बाद सवाल उठ रहे हैं कि क्या नगर निगम में वर्षों से “भूत कर्मचारियों” को हर महीने करीब 90 लाख रुपये की सैलरी दी जा रही थी।
अक्टूबर माह से ई-अटेंडेंस अनिवार्य
मध्य प्रदेश के सबसे बड़े नगरीय निकायों में शामिल जबलपुर नगर निगम में कुल 8,400 कर्मचारी कार्यरत बताए जाते हैं, जिनमें नियमित, दैनिक वेतनभोगी और आउटसोर्स कर्मचारी शामिल हैं। नगर निगम आयुक्त रामप्रकाश अहिरवार ने अक्टूबर माह से ई-अटेंडेंस का नया नियम लागू किया, जिसके तहत प्रत्येक कर्मचारी को फेस रिकग्निशन के माध्यम से अपनी उपस्थिति दर्ज करानी अनिवार्य की गई।
गायब हुए 11 नियमित और लगभग 600 आउटसोर्स कर्मचारी
Jabalpiur E-Attendance News: नियम लागू होते ही निगम में हर महीने होने वाली करीब 80 लाख रुपये की कथित चोरी पर रोक लग गई। इसके साथ ही 600 से ज्यादा कर्मचारी न तो उपस्थिति दर्ज कराने पहुंचे और न ही उन्होंने वेतन की मांग की। लापता कर्मचारियों में 11 नियमित और लगभग 600 आउटसोर्स कर्मचारी शामिल बताए जा रहे हैं।
इस मामले को लेकर कांग्रेस ने इसे बड़ा भ्रष्टाचार करार देते हुए नगर सत्ता को घेरने की तैयारी कर ली है। नेता प्रतिपक्ष अमरीष मिश्रा का आरोप है कि यह घोटाला बीते 17 वर्षों से चल रहा था और अब इसे सदन की बैठक में पूरी मजबूती से उठाया जाएगा। कांग्रेस ने पूरे मामले की जांच की मांग भी की है।
जारी किया जाएगा नोटिस
Jabalpiur E-Attendance News: वहीं नगर निगम आयुक्त रामप्रकाश अहिरवार का कहना है कि लापता कर्मचारियों को नोटिस जारी कर दिए गए हैं और जब तक उनकी ई-अटेंडेंस दर्ज नहीं होती, तब तक वेतन जारी नहीं किया जाएगा। इस पूरे घटनाक्रम ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। यदि सैकड़ों कर्मचारी केवल कागज़ों में ही काम कर रहे थे, तो आखिर उनकी लाखों रुपये की सैलरी कौन ले रहा था और किसके संरक्षण में यह सब चल रहा था? यह अब जांच का विषय बन गया है।

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