Jagdeep Dhankhar in Bhopal: उप-राष्ट्रपति पद से इस्तीफे के बाद जगदीप धनखड़ का पहला सार्वजनिक सम्बोधन.. जमकर की इस संस्था की तारीफ, आप भी सुनें..

Jagdeep Dhankhar in Bhopal: उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफे के बाद धनखड़ का पहला सार्वजनिक संबोधन, आरएसएस की तारीफ की

Jagdeep Dhankhar in Bhopal: उप-राष्ट्रपति पद से इस्तीफे के बाद जगदीप धनखड़ का पहला सार्वजनिक सम्बोधन.. जमकर की इस संस्था की तारीफ, आप भी सुनें..

Jagdeep Dhankhar in Bhopal || ANI News File

Modified Date: November 22, 2025 / 06:53 am IST
Published Date: November 22, 2025 6:19 am IST
HIGHLIGHTS
  • धनखड़ ने आरएसएस विचारों की प्रशंसा की
  • पहले हिंदी, फिर अंग्रेजी में भाषण
  • प्रणब मुखर्जी के दौरे का उल्लेख

Jagdeep Dhankhar in Bhopal: भोपाल: स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए चार महीने पहले उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा देने वाले जगदीप धनखड़ ने शुक्रवार को पहली बार किसी सार्वजनिक कार्यक्रम को संबोधित किया, जिसमें उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के विचारों और एक मजबूत राष्ट्र बनाने के दृष्टिकोण की प्रशंसा की। धनखड़ ने अपना कार्यकाल समाप्त होने से पहले ही इस साल 21 जुलाई को अचानक इस्तीफ़ा दे दिया था। शुक्रवार को उन्होंने आरएसएस के संयुक्त महासचिव मनमोहन वैद्य की लिखी किताब ‘हम और यह विश्व’ का विमोचन किया।

Jagdeep Dhankhar resignation: किताब की तारीफ और सांस्कृतिक जड़ों पर जोर

धार्मिक नेताओं और मीडिया से जुड़े जाने-माने लोगों की एक सभा को संबोधित करते हुए, धनखड़ ने देश के भरोसे, सांस्कृतिक जड़ों और संस्थाओं की एकता को बनाए रखने की बात कही। संसद का मॉनसून सत्र शुरू होने से कुछ घंटे पहले ही उनके इस्तीफ़े को मंज़ूरी मिली थी। इसके बाद उन्हें आखिरी बार सितंबर में नए उपराष्ट्रपति सी.पी. राधाकृष्णन के शपथ ग्रहण समारोह में देखा गया था। धनखड़ ने लेखक और किताब के समय की तारीफ़ करते हुए सभ्यता की ताकत को रेखांकित किया और कहा, ‘हमें अंदरूनी आत्मविश्वास और सभ्यतागत ताकत के साथ दुनिया से जुड़ना चाहिए।”

Jagdeep Dhankhar speech: पहले हिंदी फिर अंग्रेजी में भाषण

Jagdeep Dhankhar in Bhopal: उन्होंने कहा कि यह किताब भारत की सांस्कृतिक नींव में विश्वास को मज़बूत बनाने के लिए ‘दिमाग के टॉनिक’ की तरह काम करती है। हिंदी में अपना भाषण शुरू करते हुए उन्होंने कहा, ‘हम एक ऐसे दौर में जी रहे हैं जहां सोच ही असलियत तय करती है। चाहे आप इसे कितना भी नकारते रहें।’ बाद में, पूर्व उपराष्ट्रपति ने कहा कि वह अंग्रेजी में अपना भाषण देंगे और जोड़ा, ‘जिनसे चुनौती आ रही है, जो नहीं समझते हैं, जो समझना नहीं चाहते हैं, और जो किसी भी कीमत पर बदनाम करना चाहते हैं, वे मेरे असली इरादे को तब तक नहीं समझेंगे जब तक मैं उनकी विशिष्ट भाषा में बात नहीं करूंगा।”

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Jagdeep Dhankhar News Latest: प्रणब मुखर्जी का उदाहरण और पुस्तक की तारीफ

धनखड़ ने कहा, ‘पुस्तक हमें यह एहसास करने पर मजबूर करती है कि 6,000 से अधिक वर्षों के सतत सभ्यतागत ज्ञान के माध्यम से आकार ले रहे भारत के पास अशांति में दुनिया का मार्गदर्शन करने की अद्वितीय क्षमता है।’ उन्होंने बताया कि यह किताब मुश्किल और जटिल वर्तमान को समझने और भविष्य के लिए प्रेरणा देने का एक ज़रिया है। पुस्तक में आठ साल में लिखे गए लेखों का संग्रह है और उनमें पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी पर दो लेख भी शामिल हैं। 2018 में नागपुर स्थित संघ मुख्यालय में मुखर्जी के दौरे का जिक्र करते हुए धनखड़ ने कहा कि इसे लेकर अनावश्यक विवाद पैदा किया गया था, लेकिन प्रणब दा ने हेडगेवार के जन्मस्थान पर लिखा- “आज मैं यहां भारत माता के एक महान सपूत को सम्मान और श्रद्धांजलि देने आया हूं,” जिससे सारा विवाद शांत हो गया।

Jagdeep Dhankhar in Bhopal: उन्होंने कहा कि हाल ही में उनके बारे में भी एक विमर्श बनाया गया था, लेकिन इस पर वह और कुछ नहीं बोले। धनखड़ ने कहा, “एक खिलते हुए भारत को आकार देने की मुख्य ज़िम्मेदारी उसके लोगों की है। नागरिकों में ही आर्थिक राष्ट्रवाद की एक मज़बूत भावना को गढ़ने, सुरक्षा का एक मज़बूत इकोसिस्टम बनाने और एक गहरे सांस्कृतिक गौरव को बढ़ावा देने की बहुत ज़्यादा क्षमता होती है।” संघ से जुड़े कार्यक्रम में धनखड़ की मौजूदगी को भाजपा के प्रति उनकी प्रतिबद्धता के एक मजबूत राजनीतिक संकेत के तौर पर देखा जा रहा है। मीडिया ने उनसे बात करने की कोशिश की, लेकिन वह कार्यक्रम के बाद बिना बात किए चले गए।

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