From today in Bhagoriya festival tribals will echo for 7 days

Bhagoriya Parv 2023: आज से शुरू हो रहा भगोरिया पर्व, 7 दिनों तक मांदल की थाप और थाली की खनक पर आदिवासियों की गूंजेगी कुर्राटियां

From today in Bhagoriya festival tribals will echo for 7 days 7 दिनों तक मांदल की थाप और थाली की खनक पर आदिवासियों की गूंजेगी कुर्राटियां

Edited By :   Modified Date:  March 1, 2023 / 10:51 AM IST, Published Date : March 1, 2023/10:50 am IST

From today in Bhagoriya festival tribals will echo for 7 days: झाबुआ। भगोरिया आज से सात दिवसीय भगोरिया पर्व प्रारंभ हो रहा है, जिसमें आदिवासी अंचल में मांदल की थाप और थाली की खनक पर आदिवासियों की कुर्राटी गूंजेगी। आदिवासियों का हर्ष और उल्लास का पर्व भगोरिया हाॅट की शुरुआत आज 01 मार्च बुधवार से जिले के कल्याणपुरा, मदरानी, उमरकोट, मछलियां, बोड़ायता, करवड़ और ढेकल क्षेत्रों में जमेगा। इस भगोरिया पर्व में गुलाल का रंग मेले में दोपहर से शाम तक ढोल मांदल की कुर्राटी गुजेंगी।

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मांदल के हुलस साथ थाली की खनक पर देखेंगे युवाओं के ठुमके, भगोरिया हाॅट लोक संगीत से भरा होता है। इसमें युवक मांदल वाद्य यंत्र जो एक विशेष तरह का ढोल होता है। एक साथ बजाते हैं और जमकर नृत्य करते हैं। भगोरिया हाॅट मैं युवतियों की पहली पसंद चांदी के गहने होते हैं यह हाथों से लेकर सिर, गर्दन, कमर और पैरो तक चांदी के गहने पहनती है। बाष्टिये – हाथ में पहनने की मोटी चूड़ियां या कड़े कंदौरा – कमर में पहनने का आभूषण साॅकले – गले में भारी माल या मोटा कड़ेनुमा हार गले – कोहनी के पास पहनने का आभूषण, तोडे़ – पैर में पहनने का कड़े।

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भगोरिया हाट होलिया दहन के पूर्व जिले में भराये जाने वाले हाट बाजारों से शुरू होता है। इस दौरान भराये जाने वाले हाट बाजार मेले के रूप में तब्दील हो जाते है। क्योकि इन हाट बाजारों में सुबह से ही ग्रामीण इलाकों से लोगो का पहुचना शुरू हो जाता है। जोकि धीरे-धीरे मेले के रूप परिवर्तित हो जाता है। इस दौरान लगने वाले हाट बाजारों में दुर दराज से आने वाले ग्रामीण आदिवासी भी हाट बाजारों में लगने वाले खास कर झूले चकरी पान की दुकान कुल्फी ठंडाई का जमकर लुफ्त उठाते है।

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