Reported By: Naveen Singh
,Questions raised on Kamal Nath's loyalty?
कमलनाथ राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा में पूरे समय साथ रहेंगे। ये खबर कांग्रेस कार्यकर्ताओं के लिए भी चौंकाने वाली है और बीजेपी के लिए भी। लेकिन सवाल ये भी खड़े हो रहे हैं कि क्या कमलनाथ राहुल गांधी की यात्रा में शामिल होकर कांग्रेस और गांधी परिवार के साथ अपनी निष्ठा साबित करना चाह रहे हैं। फिलहाल ये सवाल तो कांग्रेस नेता भी एक दूसरे से पूछ रहे हैं लेकिन खुलकर कोई इन सवालों का जवाब नहीं मांग पा रहा।
दरअसल मध्यप्रदेश में भले ही कमलनाथ का बीजेपी में जाने वाला एपिसोड खत्म हो चुका है लेकिन कमलनाथ कांग्रेस पार्टी में अब शक की निगाहों से देखे जाने लगे हैं। कमलनाथ का कमिटमेंट सवालों के घेरे में है या ये कहें कि कमलनाथ कांग्रेस में संदिग्ध हो चुके हैं। अब भी कांग्रेस खेमे के नेता मानते हैं कि कमलनाथ कभी भी कांग्रेस को अलविदा कह सकते हैं। फिलहाल कमलनाथ इन सब अटकलों के बीच कांग्रेस के साथ अपनी निष्ठा दिखाने की कोशिशों में जुट गए हैं। कमलनाथ राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा के पहले पड़ाव से लेकर अंतिम पड़ाव तक साथ रहने वाले हैं। यानी कमलनाथ 2 मार्च को मुरैना से 7 मार्च को धार तक राहुल के साथ यात्रा में शामिल रहेंगे।
अगर कांग्रेस और कमलनाथ के बीच सब कुछ ऑल इज़ वेल है तो कमलनाथ को ये संदेश देने की ज़रुरत आखिर क्यों पड़ रही है। असल में इस पूरे एपिसोड के दौरान भोपाल से दिल्ली तक कांग्रेस में कमलनाथ के विरोधियों ने नाथ को गद्दार करार देकर अपने नंबर बढ़ाने का कोई मौका नहीं गंवाया। कमलनाथ के खिलाफ एक धड़ा पूरी ताकत के साथ आलाकमान के सामने खड़ा रहा। राहुल गांधी के इर्द गिर्द कमलनाथ के विरोधियों की तगड़ी लॉबी बन गयी थी। सब इंतजार में थे कि कमलनाथ अब गए,अब गए लेकिन राहुल गांधी के एक कॉल ने पूरी कहानी बदल दी। कमलनाथ फिर पार्टी के साथ खड़े दिखे। ये दावे किए गए कि कमलनाथ कहीं नहीं जा रहे। विरोधियों के अरमान ठंडे पड़ गए। कमलनाथ के विरोधियों का हलक तब और भी सूख गया जब कमलनाथ ने राहुल की यात्रा में पूरा समय साथ रहने का ऐलान कर दिया।
अब उन्हीं विरोधियों को ये संदेश देना चाह रहे हैं कि वो गांधी परिवार के अब भी नज़दीकी हैं। बहरहाल कमलनाथ का बीजेपी में जाने को लेकर पूरा एपिसोड ज़रुर खत्म हो गया हो लेकिन कमलनाथ ने अब तक बीजेपी जाने की खबरों पर खुद सामने आकर कुछ नहीं बोला है। रोज 2 से 4 ट्वीट करने वाले कमलनाथ ने ट्वीटर पर भी सफाई देने में परहेज ही किया है। यहां तक की कमलनाथ ने अपने ट्विटर हैंडल से किसी भी खबर का खंडन तक नहीं किया। जाहिर है इन सबके पीछ कई ऐसे सवाल हैं जो कांग्रेस से लेकर बीजेपी नेताओं के जहन में भी खटक रहे हैं कि आखिर कमलनाथ आने वाले दिनों में क्या बड़ा करने वाले हैं। कमलनाथ की 40 बरस पुरानी वफादारी शक के दायरे में उलझती जा रही है लेकिन कमलनाथ बेहतर फ्लोर मैनेजर हैं,ये कांग्रेस का हर नेता जानता है।
कमलनाथ अक्सर ये कहते हैं कि जिस लोकसभा से वो बरसों से चुनकर आ रहे हैं वहां संघ की तगड़ी पकड़ है। नागपुर संघ मुख्यालय छिंदवाड़ा से महज़ 40 मिनट की दूरी पर है। फिर भी 9 बार से कमलनाथ ही छिंदवाड़ा से चुनाव जीत रहे हैं। ये शायद कमलनाथ का मैनेजमेंट ही है जो उन्होंने इंदिरा गांधी और अपने समकालीन नेताओं से सीखा है। खैर इस बार कमलनाथ के लिए छिंदवाड़ा में अपनी प्रतिष्ठा बचाए रखना भी बड़ी चुनौती से कम नहीं। क्योंकि छिंदवाड़ा में कांग्रेस को शिकस्त देने के लिए बीजेपी ने दिग्गजों की फौज बिठा दी है। खुद सीएम मोहन यादव दो महीने के भीतर 3 दौरे छिंदवाड़ा के कर चुके हैं,पांडुरना को छिंदवाड़ा से अलग कर दो हिस्सों में बांट दिया गया है। कैलाश विजयवर्गीय सरीखे राजनीति के चाणक्य को छिंदवाड़ा सीट का प्रभारी बना दिया गया है। कैलाश विजयवर्गीय ने कांग्रेस में तोड़फोड़ शुरु कर दी है।
कमलनाथ को छिंदवाड़ा में कमजोर करने के लिए हर मुमकिन कोशिश हो रही है। ठीक इसी वक्त कमलनाथ पार्टी के अंदर और पार्टी के बाहर वाले विरोधियों से बुरी तरह घिरे हुए हैं। कांग्रेस में कमलनाथ के विरोधियों को उम्मीद है कि इस चुनाव में कमलनाथ अपना किला बचा नहीं पाएंगे और उसी हार के साथ कांग्रेस की सियासत में कमलनाथ के युग का खात्मा हो जाएगा। शायद इन्हीं राजनैतिक परिस्थितियों की वजह से कमलनाथ की वफादारी पर सवाल खड़े हो रहे हैं। जाहिर है इस नाज़ुक दौर में कांग्रेस और कमलनाथ दोनों को ही अपना दिल मजबूत करके रखना होगा क्योंकि झटका देने के लिए विरोधी 56 इंच की छाती लिए सामने खड़े हैं।