इंदौर (मध्यप्रदेश), सात जून (भाषा) मध्य प्रदेश के इंदौर के एक श्मशान परिसर में कथित रूप से ठहरे 20 लोगों पर कुछ संगठनों द्वारा ‘‘रोहिंग्या मुस्लिम’’ होने का शक जताए जाने के बाद उन्हें मंगलवार रात स्थानीय पुलिस थाने ले जाया गया, लेकिन जांच में उनके पश्चिम बंगाल के प्रवासी मजदूर होने की तसदीक के बाद उन्हें छोड़ दिया गया। पुलिस ने बुधवार को यह जानकारी दी।
एरोड्रम पुलिस थाने की प्रभारी कल्पना चौहान ने ‘‘पीटीआई-भाषा’’ को बताया,‘‘कुछ संगठनों की शिकायत पर हमने छोटा बांगड़दा क्षेत्र के एक मुक्तिधाम के पास से करीब 20 लोगों को थाने लाकर उनकी पहचान के दस्तावेज जांचे और उनके आधार कार्ड की फोटोकॉपी ली।’
उन्होंने बताया कि तसदीक में ये लोग मूलतः पश्चिम बंगाल के रहने वाले मजदूर निकले जिसके बाद उन्हें मंगलवार रात ही थाने से जाने की अनुमति दे दी गई। चौहान ने बताया,‘‘फिलहाल हमें प्रवासी मजदूरों के कब्जे से कुछ भी आपत्तिजनक नहीं मिला है।’
थाना प्रभारी ने बताया कि छोटा बांगड़दा क्षेत्र में इंदौर नगर निगम की सीवर लाइन का काम चल रहा है और इस काम के लिए पश्चिम बंगाल के प्रवासी मजदूरों को एक स्थानीय ठेकेदार लेकर आया था।
उन्होंने बताया कि इन मजदूरों को कथित रूप से श्मशान परिसर में ठहराए जाने पर कुछ संगठनों की आपत्ति के बाद उन्हें ठेकेदार ने अन्य स्थान पर रुकवा दिया है।
प्रवासी मजदूरों को थाने से वापस भेजे जाने के बाद बजरंग दल के स्थानीय संयोजक तन्नू शर्मा ने प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि संगठन के कार्यकर्ताओं को स्थानीय लोगों से सूचना मिली थी कि छोटा बांगड़दा के श्मशान परिसर में 15 से 20 ‘असामाजिक तत्व’ पिछले कई दिनों से रुके हुए हैं।
शर्मा ने संदेह जताया कि ये लोग ‘‘रोहिंग्या मुसलमान’’ हैं और एरोड्रम पुलिस थाने में सूचना दिए बगैर ‘‘गुप्त रूप से’’ श्मशान परिसर में रुके हैं। उन्होंने पुलिस और प्रशासन से मांग की है कि इन लोगों के बारे में विस्तृत जांच की जानी चाहिए।
भाषा हर्ष शोभना
शोभना
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