2025 में मप्र: यूनियन कार्बाइड का कचरा 41 साल बाद जलाया गया, जहरीले सिरप से 24 बच्चों की मौत

2025 में मप्र: यूनियन कार्बाइड का कचरा 41 साल बाद जलाया गया, जहरीले सिरप से 24 बच्चों की मौत

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  • Publish Date - December 25, 2025 / 03:13 PM IST,
    Updated On - December 25, 2025 / 03:13 PM IST

(मनीष श्रीवास्तव द्वारा)

भोपाल, 25 दिसंबर (भाषा) मध्यप्रदेश ने 2025 में कुछ महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल कीं तो वहीं कुछ दर्दनाक हादसे भी हुए। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने दशकों की माओवादी हिंसा के बाद राज्य को नक्सल-मुक्त घोषित किया और लंबे समय बाद इस साल जहरीले यूनियन कार्बाइड कचरे का निपटारा भी किया गया। लेकिन एक दूषित कफ सिरप के कारण इस साल 24 बच्चों की मौत ने पूरे प्रदेश के साथ ही देश को झकझोर कर रख दिया।

राज्य ने 2025 को ‘उद्योग वर्ष’ के रूप में मनाया और पहली बार भोपाल में ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट (जीआईएस) का आयोजन किया, जिससे खुद को एक शीर्ष निवेश गंतव्य के रूप में स्थापित किया।

सरकार ने खासकर धार्मिक और वन्यजीव क्षेत्रों में पर्यटन को बढ़ावा देने पर ध्यान दिया। पहले से ही ‘टाइगर स्टेट’ का दर्जा रखने वाला मध्यप्रदेश अब चीतों के लिए तीसरा आवास भी होगा। यह तीसरा आवास सागर जिले में बनेगा।

भोपाल गैस त्रासदी के 41 साल बाद, बंद पड़ी यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री में पड़ा जहरीला कचरा वहां से हटाकर इंदौर के पास पीथमपुर औद्योगिक शहर में एक संयंत्र में जला दिया गया। यह प्रक्रिया कई महीनों तक चली। हालांकि स्थानीय निवासियों और पर्यावरणविदों ने इसका विरोध किया।

जुलाई में धार जिले के पीथमपुर में संयंत्र में 358 टन खतरनाक कचरे को जलाया गया। दुनिया की सबसे बड़ी औद्योगिक आपदा वाली जगह भोपाल से कचरा हटाने से दशकों पुराने एक अध्याय का अंत हुआ, लेकिन चिंताएं बनी हुई हैं क्योंकि जलाने के दौरान पैदा हुई लगभग 900 टन जहरीली राख अभी भी औद्योगिक शहर पीथमपुर में रखी हुई है।

मध्यप्रदेश जहरीले कप सिरप से 24 बच्चों की मौतों को लेकर भी सुर्खियों में रहा। ये मौतें मुख्य रूप से कोल्ड्रिफ ब्रांड के नाम से बेचे जाने वाले एलोपैथिक कफ सिरप के सेवन से हुई थी जिसमें 48.6 प्रतिशत डाई एथिलीन ग्लाइकॉल पाया गया, जो एक बहुत जहरीला रसायन योग है जिससे किडनी फेल हो जाती है।

तमिलनाडु की एक फार्मा कंपनी द्वारा बनाए गए कोल्ड्रिफ से जुड़ी मौतों ने अपर्याप्त परीक्षण और नियामक कमियों को उजागर किया। इस त्रासदी के बाद, मध्यप्रदेश सरकार ने कोल्ड्रिफ सिरप की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया और अधिकारियों को निलंबित कर दिया। दवा बनाने वाली कंपनी और एक स्थानीय डॉक्टर के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू की गई।

दिसंबर में मध्यप्रदेश को नक्सल-मुक्त घोषित करना, लगभग चार दशकों के बाद वामपंथी उग्रवाद के खिलाफ राज्य की निर्णायक लड़ाई में एक ऐतिहासिक मोड़ था। मुख्यमंत्री की यह घोषणा बालाघाट जिले में अधिकारियों के सामने दो शीर्ष नक्सलियों, दीपक और रोहित के आत्मसमर्पण के तुरंत बाद हुई। इन दोनों नक्सलियों पर कुल 43 लाख रुपये का इनाम था।

यादव ने इस ‘ऐतिहासिक’ उपलब्धि के लिए राज्य पुलिस और केंद्रीय सुरक्षा बलों की तुरंत सराहना की। यादव के पास गृह मंत्रालय भी है,

यादव ने इसे ‘लाल सलाम को अंतिम सलाम’ बताया। मुख्यमंत्री यादव ने दिसंबर के मध्य में अपने कार्यकाल के दो साल पूरे किए और बताया कि राज्य मार्च 2026 तक नक्सलवाद को खत्म करने की केंद्र की समय सीमा से पहले ही माओवादी खतरे से मुक्त हो गया है।

सरकार ने नक्सल प्रभावित तीन जिलों – बालाघाट, मंडला और डिंडोरी – के विकास के लिए एक विशेष पैकेज की घोषणा की और कहा कि आत्मसमर्पण करने वाले माओवादियों का ठीक से पुनर्वास किया जाएगा।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा उद्घाटन किया गया ग्लोबल इन्वेस्टमेंट समिट, 2025 में प्रदेश की भाजपा सरकार के लिए एक बड़ी उपलब्धि थी। इस समिट में लगभग 30.77 लाख करोड़ रुपये के निवेश एमओयू हुए जिससे 21 लाख से ज्यादा नौकरियां पैदा होने की संभावना है।

सरकार ने निवेश आकर्षित करने और राज्य की उद्योग-अनुकूल नीतियों को दिखाने के लिए भारत और विदेशों के प्रमुख शहरों में बिजनेस मीट के अलावा संभाग-स्तर पर क्षेत्रीय उद्योग सम्मेलन भी आयोजित किए।

इस साल, प्रधानमंत्री मोदी ने राज्य के लिए 18 नई औद्योगिक नीतियां प्रस्तुत कीं।

राज्य में दलितों पर अत्याचार के मामले भी सामने आए। अक्टूबर में कटनी जिले में अवैध खनन का विरोध करने पर एक दलित व्यक्ति को चार लोगों ने पीटा और उस पर पेशाब किया।

पर्यटन को, खासकर धार्मिक स्थलों और वन्यजीव अभयारण्यों में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए राज्य में हेलीकॉप्टर सेवाएं शुरू की गईं। ये सेवाएं प्रमुख शहरों, धार्मिक और पर्यटन स्थलों के बीच किफायती और स्थायी संपर्क प्रदान करने के लिए शुरू की गईं।

भाषा दिमो मनीषा नरेश

नरेश