चुनाव का चढ़ा पारा.. अब बजरंगबली हैं सहारा? क्या भाजपा और कांग्रेस के हनुमान अलग हैं?

चुनाव का चढ़ा पारा.. अब बजरंगबली हैं सहारा? Madhya Pradesh's religion and faith have become the center of politics

चुनाव का चढ़ा पारा.. अब बजरंगबली हैं सहारा? क्या भाजपा और कांग्रेस के हनुमान अलग हैं?
Modified Date: May 16, 2023 / 11:46 pm IST
Published Date: May 16, 2023 11:46 pm IST

भोपालः एमपी में तमाम मुद्दों के बावजूद धर्म और आस्था राजनीति का केंद्र बन चुकी है। कभी भाजपा तो कभी कांग्रेस अपनी-अपनी सुविधा के अनुसार दोनों इस मुद्दे को उछालते रहे हैं। कुछ दिनों पहले भाजपा बजरंगबली के मुद्दे को जोरशोर से उठा रही थी तो अब कांग्रेस हर विधानसभा क्षेत्र में हनुमान चालीसा का पाठ करवा रही है। इतना ही नहीं दोनों ही दल के नेता एक-दूसरे पर ये आरोप लगा रहे हैं कि बजरंगबली का राजनीतिकरण किया जा रहा है।

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कर्नाटक विधानसभा चुनाव में बजरंगबली के मुद्दे पर संग्राम के बावजूद कांग्रेस को बंपर जीत हासिल हुई है। इस मौके को भांपते हुए कांग्रेस मध्यप्रदेश में भी बजंरगबली के सहारे चुनावी वैतरणी पार करने की जुगत में है। इसलिए यूथ कांग्रेस ने मंगलवार को सभी जिला और विधानसभा मुख्यालयों के मंदिरों में हनुमान चालीसा पाठ किया। साथ ही कर्नाटक में जीत के लिए भगवान हनुमान को धन्यवाद भी अर्पित किया।

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कांग्रेस बजरंगबली की शरण में पहुंची तो भाजपा को अपनी सियासी जमीन हिलती दिखाई दी। फिर क्या था सीधे गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कांग्रेस को निशाने पर ले लिया। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस बजरंगबली का राजनीतिकरण कर रही है। इसके बाद कांग्रेस ने भी करारा पलटवार किया।

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भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टियां बजरंगबली में गहरी आस्था रखने का दावा करती है। ऐसे में फिर बजरंगबली का राजनीतिकरण कौन कर रहा है? क्या भाजपा और कांग्रेस के हनुमान अलग हैं ? सवाल है कि राम और हनुमान के बहाने हिंदुत्व के मुद्दे पर लगातार बयानबाजी क्यों हो रही है, क्या हिंदुत्व का एजेंडा वाकई चुनाव जीतने की गारंटी है?

 

 


लेखक के बारे में

सवाल आपका है.. पत्रकारिता के माध्यम से जनसरोकारों और आप से जुड़े मुद्दों को सीधे सरकार के संज्ञान में लाना मेरा ध्येय है। विभिन्न मीडिया संस्थानों में 10 साल का अनुभव मुझे इस काम के लिए और प्रेरित करता है। कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय से इलेक्ट्रानिक मीडिया और भाषा विज्ञान में ली हुई स्नातकोत्तर की दोनों डिग्रियां अपने कर्तव्य पथ पर आगे बढ़ने के लिए गति देती है।