लाउड स्पीकर पर संग्राम.. अजान का एहतराम! कभी नरम, कभी गरम… सियासत का ये कैसा धरम?

लाउड स्पीकर पर संग्राम.. अजान का एहतराम! Mahabharat was spread all over the country regarding Ajan on loudspeakers

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  • Publish Date - September 26, 2022 / 11:33 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:24 PM IST

(रिपोर्टः नवीन कुमार सिंह) भोपालः कल तक लाउडस्पीकर पर अजान को लेकर पूरे देश में महाभारत छिड़ी हुई थी। बीजेपी का भी इसमें सख्त रूख दिखा। लेकिन आज हालात बदले हैं। लाउडस्पीकर पर जब आज वहीं अजान सुनाई देती है तो बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा अपना भाषण रोक देते हैं..ख़बर फैली तो कांग्रेस कहने लगी कि राहुल गांधी के भारत जोड़ों यात्रा का ये असर है…जबकि बीजेपी कह रही है कि वो हमेशा से दूसरे धर्म का सम्मान करती आई है।

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संघ प्रमुख मोहन भागवत का मस्जिद जाना और बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा का अज़ान के पहले मंच से ही अपने भाषण को रोकना। देश की सियासत में ये मामूली राजनीतिक घटना नहीं है। क्योंकि कुछ महीने पहले बीजेपी नेताओं ने ही अज़ान को लेकर बवाल किया था। दरअसल कांग्रेस तो ये दावा कर रही है कि नफरत को खत्म करने के लिए राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा का ही ये असर है।

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दरअसल मध्यप्रदेश में मुस्लिमों की आबादी महज़ 7 फीसदी है। पूरे प्रदेश की 230 सीटों में से सिर्फ 2 अल्पसंख्यक विधायक हैं। वो भी कांग्रेस के ही विधायक हैं। बीजेपी ने पिछले चुनावों में सिर्फ एक अल्पसंख्यक कैंडिडेट उतारा था। लेकिन उसे भी हार का सामना करना पड़ा. बीजेपी के पास कोई बड़ा अल्पसंख्यक चेहरा है ही नहीं और सत्ता में वापसी के लिए ये बेहद ज़रुरी है कि 7 फीसदी अल्पसंख्यक वोटर्स बिना नज़रअंदाज़ किए उनका भरोसा जीता जाए। बीजेपी भी इसी कोशिश मे है। शुरुआत बीजेपी ने मध्यप्रदेश के नगरीय निकाय चुनावों में मुस्लिम प्रत्याशियों को उतार कर कर दी है। अब सामने विधानसभा चुनाव भी हैं। ये उम्मीद भी की जा रही है कि मध्यप्रदेश में करवट लेती सियासत में बीजेपी फिर कोई चौंकाने वाला कदम उठाएगी।

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जानकार मानते हैं कि बीजेपी ने राजनीति का पैटर्न बदलने के लिए कई फॉर्मूलों पर काम किया है। संघ और बीजेपी का अल्पसंख्यकों की तरफ बढ़ते झुकाव को भी इसी तरह देख रहे हैं। अब सवाल है कि आखिर अज़ान का कुछ दिनों पहले तक विरोध करने वाले नेता अज़ान के सम्मान में खड़े क्यों हैं। क्या ये वाकई राहुल गांधी की यात्रा का ही असर है या फिर कोई और सियासी गणित वजह चाहे जो भी हो लेकिन बीजेपी ने फिर ट्रेंड बदलने की कोशिश शुरु कर दी है। लेकिन क्या अल्पसंख्यकों को अपनी तरफ करना बीजेपी के लिए इतना आसान होगा।