Madhya Pradesh में Mission 2023 का आगाज ! एक्शन में BJP-Congress
Mission 2023 begins in Madhya Pradesh! BJP-Congress in action
भोपालः प्रदेश में विधानसभा चुनाव में अब दो साल से कम का वक्त बचा है। दोनों दल जानते हैं कि अगर राज्य की सत्ता पानी है तो हर वर्ग को साधकर। हर स्तर पर डटकर माहौल बनाना होगा। इसी क्रम में भाजपा और कांग्रेस में ताबड़तोड़ बैठकों का दौर शुरू हो चुका है। भाजपा संगठन ने अपने विधायकों-मंत्रियों से केंद्र-राज्य सरकार का फीडबैक लिया ताकि जमीनी हकीकत का पता रहे तो दूसरी तरफ कांग्रेस ने भी अपनी महिला विंग के बाद आदिवासी वर्ग के नेताओं से बैठक कर अपनी पैठ मजबूत करने की कवायद शुरू कर दी है। दोनों संगठनों की ये तैयारी किसकी जीत की जमीन पक्की करेगी।
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मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव को अभी 1 साल और 10 महीने का वक्त बचा है..लेकिन बीजेपी और कांग्रेस में बैठकों का दौर शुरू हो गया है। खास तौर पर बीजेपी अपने संगठन के नेताओं और मंत्री-विधायकों का फीडबैक ले रही है। इसी कड़ी में बीजेपी के राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री शिवप्रकाश, प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव और प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने मंत्रियों,विधायकों के साथ अलग-अलग बंद कमरे में वन टू वन चर्चा की। संगठन के नेताओं ने पहले चंबल क्षेत्र के मंत्रियों से फिर ग्वालियर, जबलपुर, सागर, रीवा और शहडोल संभाग के मंत्री-विधायकों से फीडबैक लिया। इसके बाद देर शाम हुई सत्ता और संगठन की संयुक्त बैठक में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान समेत तमाम पदाधिकारी मौजूद रहे। जाहिर है बीजेपी की इस एक्सरसाइज़ को सत्ता पर संगठन की कसावट के तौर पर देखा जा रहा है।
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न सिर्फ बीजेपी बल्कि कांग्रेस भी सत्ता में वापसी के लिए जोर लगा रही है। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ संगठन को मजबूत करने के उद्देश्य से लगातार पार्टी के तमाम मोर्चा की बैठक ले रहे हैं। मंगलवार को महिला कांग्रेस की बैठक लेने के बाद बुधवार को प्रदेश अध्यक्ष ने आदिवासी समाज की बड़ी बैठक ली। जिसमें शामिल अनुसूचित जनजाति मोर्चे के अलावा कांग्रेस के तमाम आदिवासी विधायक, पूर्व विधायकों ने घंटों मंथन किया। आदिवासी सीटों पर कांग्रेस का कम होता प्रभाव बैठक का प्रमुख एजेंडा रहा। आदिवासी अंचलों में पार्टी के कम होते जनाधार के पीछे ये तर्क दिया गया कि बीजेपी आदिवासी युवाओं के साथ फरेब कर रही है।
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जाहिर है मध्यप्रदेश की 84 विधानसभा सीटों पर आदिवासी वोटर्स निर्णायक भूमिका निभाते हैं। यही वजह है कांग्रेस और बीजेपी ने अभी से इनको साधने पर फोकस कर रही है। बहरहाल 2023 के विधानसभा चुनाव में आदिवासी समाज का आशीर्वाद जिस दल को मिलेगा। उसके सत्ता में आने की संभावना बढ़ जाएगी ये तो तय है।

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