बज गई पंचायत चुनाव की रणभेरी, BJP ने किया स्वागत, कांग्रेस ने परिसीमन को लेकर जताई आपत्ति

प्रदेश में बहुप्रतीक्षित पंचायत चुनावों की तारीखों का ऐलान हो गया...इसी के साथ प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में आचार संहिता भी लागू हो गई...जो चुनाव परिणाम आने तक जारी रहेगी..

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  • Publish Date - December 4, 2021 / 11:12 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:15 PM IST

भोपाल। प्रदेश में बहुप्रतीक्षित पंचायत चुनावों की तारीखों का ऐलान हो गया…इसी के साथ प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में आचार संहिता भी लागू हो गई…जो चुनाव परिणाम आने तक जारी रहेगी…हालांकि ये चुनाव दलीय आधार पर नहीं होता फिर भी…अक्सर पार्टियों के समर्थित उम्मदीवारों के बीच मुकाबला रहा है…चुनावी कार्यक्रम आते ही भाजपा ने जहां इसका स्वागत करते हुए दावा भी पार्टी कार्यकर्ता हरदम-हर स्तर पर चुनावों के लिए तैयार है…तो कांग्रेस ने परिसीमन को लेकर अपनी आपत्ति दोहराई है…वैसे कोरोना की तीसरी लहर की आशंका के बीच…चुनौतियां कई हैं…

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मध्यप्रदेश में पंचायत चुनाव की तारीखों के ऐलान हो गया है…राज्य निर्वाचन आयोग ने प्रेस कांफ्रेंस कर बताया कि पहले चरण में 6 जनवरी 2022, दूसरा 28 जनवरी और तीसरा चरण में 16 फरवरी 2022 को मतदान होगा…पहले चरण में 9 जिलों भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, निवाड़ी, अलीराजपुर, पन्ना, नरसिंहपुर, हरदा और दतिया में चुनाव होंगे…दूसरे चरण में 7 जिलों जबलपुर, बुरहानपुर, सिंगरौली, उमरिया, अनूपपुर, श्योपुर और देवास में वोटिंग होगी…तीसरे चरण में 36 जिले राजगढ़, रायसेन, सीहोर, विदिशा, खरगोन, खंडवा, धार, झाबुआ, बड़वानी, गुना, शिवपुरी, अशोकनगर, छिंदवाड़ा, सिवनी, बालाघाट, मंडला, डिंडौरी, कटनी, उज्जैन, नीमच, रतलाम, शाजापुर, आगर-मालवा, मंदसौर, सागर, छतरपुर, दमोह, टीकमगढ़, रीवा, सीधी, सतना, होशंगाबाद, बैतूल, शहडोल, भिंड और मुरैना में वोटिंग की तैयारी की गई है…

मध्यप्रदेश में 23,835 ग्राम पंचायतें हैं …जिसमें 904 जिला पंचायत सदस्य और 6 हजार 35 जनपद सदस्य हैं
• इसमें 52 जिला पंचायत अध्यक्ष , 52 उपाध्यक्ष, 313 जनपद पंचायत अध्यक्ष , 313 जनपद पंचायत उपाध्यक्ष , जिला पंचायत सदस्य 904, जनपद पंचायत सदस्य 6833 और पंच के 3,77,551 पद शामिल हैं। • इनमें 2014-15 में चुनाव हुए थे जिनका कार्यकाल 2020 में समाप्त हो चुका है ।

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पंचायत चुनावों को लेकर बीजेपी का दावा है कि पार्टी 365 दिन चुनावों के लिए तैयार रहती है…जबकि कांग्रेस को साल 2014 के परिसीमन के आधार पर चुनाव कराने को लेकर आपत्ती है…और वो इसके खिलाफ कोर्ट जाने की तैयारी में हैं…कांग्रेस नेता नरेंद्र सलूजा का कहना है कि सरकार अगर पंचायत चुनाव कराना चाहती है तो नए सिरे से परिसीमन कराए…।

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वैसे तो त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव दलीय आधार पर नहीं होते लेकिन इसमें दलों की दिलचस्पी और दखल दोनों जगजाहिर है…और इस बार के पंचायत चुनाव बीजेपी सरकार के काम काज के लिटमस टेस्ट के तौर पर देख जा रहे हैं…जिसके लिए सत्तापक्ष के अपने दावे हैं और विपक्ष के अपने…बड़ा सवाल ये कि इस चुनौती में कौन किस पर कितना भारी पड़ेगा..।