MP Vidhansabha Chunav 2023 : जय-वीरू की जोड़ी करेगी कमाल..! बुंदेलखंड के दो पूर्व मंत्री और भाजपा के दिग्गज नेताओं का मिलन, अब बनेगी बात…
Madhya Pradesh Vidhansabha Chunav 2023: पिछले चुनाव में कुसमरिया और मलैया के बीच अंतर्कलह की खबरें खूब सामने आई थी।
MP Vidhansabha Chunav 2023
MP Vidhansabha Chunav 2023 : भोपाल। मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी ने अपनी पांचवी सूची जारी कर दी है। जिसमें कई दिग्गज नेताओं के नाम शामिल हैं। इससे पहले बीजेपी अपनी चार सूचियां जारी कर चुकी है। जिसमें कुल 136 प्रत्याशियों के नाम शामिल थे। बीजेपी ने पांचवी सूची में 92 प्रत्याशियों के नाम जारी किए हैं।
MP Vidhansabha Chunav 2023 : आपको बता दें कि भाजपा के 92 प्रत्याशियों में सामान्य के 30, अन्य पिछड़ा वर्ग के 29, अनुसूचित जाति के 16 और अनुसूचित जनजाति वर्ग के 17 प्रत्याशी है। वहीं, अब तक घोषित 228 प्रत्याशियों में सामान्य के 78, अन्य पिछड़ा वर्ग के 69, अनुसूचित जाति के 34 और अनुसूचित जनजाति के 47 प्रत्याशी है। इसमें 28 महिला और 200 पुरुष उम्मीदवार है।
बुंदेलखंड के दो पूर्व मंत्री और भाजपा के दिग्गज नेताओं का मिलान
MP Vidhansabha Chunav 2023 : मध्यप्रदेश में बीजेपी ने अपनी दूसरी सूची जारी कर दी है। दमोह जिले सहित बुंदेलखंड की राजनीति में खासा प्रभाव रखने वाले डॉ रामकृष्ण कुसमरिया से उनके ग्रह ग्राम सकोर पहुंचकर पूर्व मंत्री दिग्गज भाजपा नेता जयंत मलैया ने आज मुलाकात की। दो पूर्व मंत्रियों की इस मुलाकात के बाद अब कई सियासी मायने निकाले जा रहे हैं और इनके मिलन की खबर के बाद विरोधी खेमे में हलचल भी मची हुई है।
दरअसल पिछले चुनाव में कुसमरिया और मलैया के बीच अंतर्कलह की खबरें खूब सामने आई थी। शायद यही बजह थी कि कुसमरिया ने पार्टी के फैसले के विपरीत 2018 में दमोह से जयंत मलैया और पथरिया से लखन पटेल के खिलाफ निर्दलीय चुनाव लड़कर दोनो भाजपा उम्मीदवारों को पटकनी दी थी। साथ ही कुसमरिया ने बुंदेलखंड की कई सीटों को भी प्रभावित किया था और प्रदेश में कमलनाथ के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार बनी थी।
हालांकि कुछ समय बाद ही रामकृष्ण कुसमरिया की वर्षों पुरानी पार्टी भाजपा में वापिसी हुई थी। अब 2023 में एक बार फिर भजापा और कांग्रेस दोनो दल मुकाबले में है। भाजापा को कांग्रेस से इस बार खासी चुनोती मिल रही। लिहाजा पूर्व मंत्री कुसमरिया और जयंत मलैया की यह जय -वीरू की जोड़ी मैदान में उतारना भाजपा के लिए आवश्यक थी और जरूरी भी थी।
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