भोपालः यूपी समेत कुछ और प्रदेशों के बाद अब मध्यप्रदेश में भी सरकारी कार्यवाही में शामिल कुछ उर्दू , अरबी और फारसी शब्दों को ये कहते हुए हटाने का फैसला किया गया है अब ये शब्द आमजन की समझ से परे हैं, लेकिन सत्तापक्ष के इस तर्क को खारिज करते हुए विपक्ष सरकार की मंशा पर ही सवाल उठा रही है। आखिर क्या और क्यों इन शब्दों को बदला जा रहा है और इस पर विपक्ष की आपत्ति किस बाद को लेकर है।
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वीओ-01 प्रदेश में नाम बदलने की कवायद के बाद अब कई शब्दों को बदलने की तैयारी है। सरकारी और खास तौर पर पुलिसिया कार्यवाही में इस्तेमाल होने वाले उर्दू,अरबी और फारसी शब्दों को बदलने की तैयारी की जा रही है। इसकी शुरूआत राजस्व विभाग से हो चुकी है। इसके पीछे सत्तापक्ष का तर्क है कि आज के दौर में ये शब्द आम लोगों की समझ से परे हैं। गृह मंत्रालय ने भी पुलिस कार्यवाही में चलन में रहे उर्दू, अरबी और फारसी शब्दों को बदलने का ऐलान किया है। इसपर गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि कुछ शब्द रिफ्यूजी की तरह लगते हैं, जिन्हें अब बदला जाएगा।
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इधर, कांग्रेस ने शब्दों को बदलने की सरकार की मंशा पर सवाल उठाए हैं। पूर्व मंत्री और कांग्रेस विधायक पीसी शर्मा ने कहा कि पहले नाम बदलने तो अब उर्दू के शब्द हटाकर बीजेपी सिर्फ कोरी सियासत कर रही है। शर्मा ने कहा कि केंद्र और राज्य की बीजेपी सरकार फेल हो चुकी है। मुद्दों पर से ध्यान हटाने जानबूझकर ऐसी कवायद कर रही है।
पहले हबीबगंज को रानी कमलपति रेलवे स्टेशन और मिंटो हॉल को कुशाभाउ ठाकरे के नाम पर नाम परिवर्तन करने के बाद अब सरकारी शब्दावली से उर्दू,अरबी, फारसी के शब्दों को चलन से हटाया जा रहा है। लेकिन बड़ा सवाल ये कि ये नाम और शब्द परिवर्तन की कवायद आमजनता को कितनी रास आती है। प्रदेश के आमजन को सियासत का ये चलन कितना उपयोगी लगता है?