अंबेडकर के नाम पर…पार्टी लग गई काम पर! वो किस पर भरोसा जताएंगे जिनके लिए हो रहे इतने सियासी दांवपेंच
वो किस पर भरोसा जताएंगे जिनके लिए हो रहे इतने सियासी दांवपेंच! On whom will they trust, for whom so many political bets are happening
रिपोर्ट- नवीन सिंह, भोपाल: political bets are happening मध्यप्रदेश में चुनाव में अभी करीब डेढ़ साल वक्त है, लेकिन हर वर्ग को साधने की कवायद राजनीतिक दलों ने शुरू कर दी है। खासतौर पर दलित वोट बैंक को अपने पक्ष में करने की लड़ाई सबसे ज्यादा है। इसी रणनीति के तहत अंबेडकर जंयती के मौके पर बाबा साहेब की शरण में बीजेपी और कांग्रेस के तमान नेता पहुंचे और खुद को दलितों का बड़ा हितैषी बताया।
political bets are happening मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनावों के पहले बीजेपी और कांग्रेस का दलित प्रेम लगातार उमड़ रहा है। संत रविदास जयंती के बाद अब अंबेडकर जयंती के मौके पर दोनों ने खुद को दलितों का हितैषी बताने की भरपूर कोशिश की और एक दूसरे पर राजनीति करने का आरोप भी लगाया। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अंबेडकर की जन्म स्थली महू पहुंचे और उन्हें श्रद्धांजलि भी अर्पित की। इस खास मौके पर सीएम ने अंबेडकर के जीवन से जुड़े पंचतीर्थ के प्रमुख स्थानों को तीर्थ दर्शन यात्रा से जोड़ने की घोषणा की।
प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में बीजेपी नेताओं ने बाबा साहेब को याद करते हुए बीजेपी को अंबेडकर के विचारों को जमीन पर उतारने वाली पार्टी बताया और कांग्रेस को जमकर आड़े हाथों लिया। न सिर्फ बीजेपी बल्कि कांग्रेस भी दलित वोटर्स को साधने एड़ी-चोटी का जोर लगा रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ महू पहुंचे और बाबा साहेब को याद करते हुए उन्होंने जनता से वादा किया कि अगर कांग्रेस की सरकार आती है तो प्रदेश में अंबेडकर की सबसे बड़ी स्टेच्यू स्थापित की जाएगी।
अंबेडकर जयंती पर खुद को दलितों का सबसे बड़ा हितैषी बताने की होड़ की वजह दरअसल प्रदेश की 16 फीसदी दलित आबादी हैं, जो सत्ता की दौड़ में निर्णायक हैं। चुनाव से पहले बीजेपी और कांग्रेस दोनों दलित वोटर्स को अपने पाले में करने की कोशिश में जुटे हैं। अब देखना है कि जिनके लिए इतने सियासी दांवपेंच हो रहे हैं वो किस पर भरोसा जताते हैं?
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