Panna News : फिर जीवंत हुई ऐतिहासिक परम्परा..! महाराजा छत्रसाल के वंशज पन्ना नरेश को सौंपी गई ये खास तलवार, एक झलक देखने उमड़े हजारों लोग..

Sword handed over to Chhatrasal's descendant Panna Naresh: प्रतिवर्ष महाराज छत्रसाल के वंशजों को तलवार एवं वीरा भेंट किया जाता है।

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  • Publish Date - October 24, 2023 / 11:51 PM IST,
    Updated On - October 24, 2023 / 11:52 PM IST

Sword handed over to Chhatrasal’s descendant Panna Naresh : पन्ना। पद्मावती पुरी धाम पन्ना के प्राचीन खेजड़ा मंदिर में हजारो महामति के अनुयायी श्रद्वालु विशाल मंदिर प्रांगण में एकत्रित हो गए और उस घड़ी का इंतजार करने लगे जो आज से लगभग चार शाताब्दी से महामति श्री प्राणनाथ द्वारा छत्रसाल को दिव्य तलवार एवं वीरा भेंट कर उन्हें विजय आशीर्वाद दिया था। उसी परंपरा के निर्वाहन में प्रतिवर्ष दशहरा के दिन महाराज छत्रसाल के वंशजों को तलवार एवं वीरा भेंट किया जाता है जिसकी एक झलक पाने हजारों श्रद्वालुओ की नजरें टिकी रहती हैं।

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Sword handed over to Chhatrasal’s descendant Panna Naresh : जैसे ही महाराज छत्रसाल के वंशज खेजड़ा मंदिर पहुंचे वहां उपस्थित सुंदरसाथ प्राणनाथ प्यारे और महाराजा छत्रसाल के जयकारों से वातावरण गुंजावित हो गया पन्ना महाराजा छात्रशाल द्वितीय जू देव को मंदिर के पुजारी द्वारा तलवार एवं वीरा भेंटकर परंपरा निभाई गई। इस परंपरा के साक्षी बने देश-विदेश से आए हजारों सुन्दरसाथ श्रद्वालुओ ने अपने आप को धन्य महसूस करते हुए श्री जी के चरणों में मत्था टेका।

 

बता दें कि महामति श्री प्राणनाथ जी ने बुंदेलखंड की रक्षा के लिए महराजा छत्रसाल को वरदानी तलवार सौंपी थी तथा वीरा उठाकर संकल्प करवाया था जिससे महाराजा छत्रसाल पूरे बुंदेलखंड को जीत सके थे और अपना साम्राज्य स्थापित कर पन्ना को राजधानी बनाया था। पन्ना में सैकड़ों वर्षों से लगातार यह परंपरा चली आ रही है। विजयादशमी के दिन आयोजित इस गरिमामयी कार्यक्रम में श्री प्राणनाथ जी मंदिर के पुजारी महाराज छत्रसाल के वंशजों का तिलक कर वीरा एवं तलवार देकर उस रस्म को निभाते हैं जो कभी महामति ने छत्रसाल को देश और धर्म की रक्षा के लिए प्रदान की थी। अति प्राचीन स्थान श्री खेजड़ा मंदिर में इस भव्य उत्सव को देखने देश-विदेश के हजारों सुन्दरसाथ जुटते हैं जिनमें से कोई नेपाल से आता है तो कोई सिक्किम से, कोई गुजरात से तो कोई महाराष्ट्र से। पूरे महोत्सव में देश की विविधता झलक रही थी। और आज से शरद पूर्णिमा महोत्सव का आगाज भी शुरू हो गया।

 

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