Politics on Uniform Civil Code in Madhya Pradesh

एक देश-एक कानून, ऐलान..बयान..घमासान! मध्यप्रदेश में समान ना​गरिक संहिता पर सियासत

एक देश-एक कानून, ऐलान..बयान..घमासान! मध्यप्रदेश में समान ना​गरिक संहिता पर सियासत! Politics on Uniform Civil Code in Madhya Pradesh

Edited By :   Modified Date:  December 2, 2022 / 11:27 PM IST, Published Date : December 2, 2022/11:21 pm IST

सुधीर दंडोतिया/भोपाल। Politics on Uniform Civil Code बड़वानी में एक दिन पहले सीएम शिवराज ने समान नागरिक संहिता को लागू करने की वकालत की..तो एमपी की सियासत में एक देश,एक कानून पर जुबानी जंग तेज हो गई है। बीजेपी ने यूनिफार्म सिविल कोड का स्वागत किया। तो कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद ने शिवराज सिंह चौहान के बयान को चुनावी जुमला बताते हुए कड़ी आपत्ति जताई। मसूद ने आरोप लगाया कि मुस्लिम पर्सनल लॉ को ठेस पहुंचाने की कोशिश है। यानी एमपी में एक देश एक कानून पर सीएम के बयान के बाद सियासत ऑन है। दोनों पक्षों के अपने-अपने तर्क और दावे हैं। जिससे कई सवाल भी उठ रहे हैं।

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Politics on Uniform Civil Code गुरुवार को आदिवासी बाहुल्य इलाका बड़वानी में सीएम शिवराज ने ऐलान कि किया कि अब समय आ गया है कि भारत में समान नागरिक संहिता लागू होना चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि एक देश में दो विधान भला क्यों चले। वो इसे लेकर मध्यप्रदेश में एक कमेटी बना रहे है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के ऐलान के बाद मध्यप्रदेश में समान नागरिक संहिता के मुद्दे पर सियासी पारा चढ़ने लगा है। कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद ने इसका विरोध करते हुए इसे चुनावी जुमला और मुस्लिम पर्सनल लॉ को ठेस पहुंचाने की कोशिश करार दी।

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हालांकि समान नागरिक संहिता का विरोध केवल कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद ने की है जो मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य हैं। सीएम के बयान पर कांग्रेस विधायक के रूख के बाद बीजेपी भी फ्रंट फुट पर आ गई है। गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने जहां सवाल पूछा कि कांग्रेस बताए कि वो समान संहिता के बिल के पक्ष में है या नहीं तो विधायक रामेश्वर शर्मा ने भी UCC के विरोधियों को आड़े हाथ लिया।

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पहले उत्तराखंड में बीजेपी सरकार ने समिति बनाई, फिर गुजरात और अब मध्यप्रदेश में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने के लिए समिति बनाने का ऐलान किया। असम और कर्नाटक की सरकारों ने भी समान नागरिक संहिता को लागू करने के संकेत दिए हैं। कुल मिलाकर जहां-जहां बीजेपी की सरकार है वो इसे लागू करने की वकालत की है या ये कहें कि बीजेपी राज्यों के जरिये दिल्ली तक ये मुद्दा लाने का रास्ता तलाश रही है।

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