सियासत की बाढ़…बाढ़ से तो राहत, लेकिन उफान पर सियासत
बाढ़ से तो राहत, लेकिन उफान पर सियासत! Relief from floods, but politics on the boom in Madhya Pradesh
भोपाल: भारी बारिश और बाढ़ ने मध्यप्रदेश में कैसे तबाही मचाई, ये किसी से छिपा नहीं है। वक्त के साथ नदियों का उफान कम हो गया, लेकिन सियासत में बाढ़ आ गई है। ग्वालियर-चंबल में बाढ़ प्रभावित इलाकों इलाके का दौरा कर पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने मौजूदा हालात के लिए सरकार पर आरोप लगाए। तो हमलों का जवाब सरकार की तरफ से नरोत्तम मिश्रा और विश्वास सारंग ने दिया और कहा कि जब बाढ़ बची नहीं तो दौरा किस बात का।
जब उफनती नदियों ने पूरे इलाके का जनजीवन अस्तव्यस्त कर दिया था, नदियों का उफान तो कम हो गया लेकिन सियासत जोर पकड़ती गई। मुख्यमंत्री, पूर्व मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्रियों ने दौरे किए भरोसा भी दिलाया लेकिन बयानबाजी का ये सिलसिला अब भी जारी है। इलाके का दौरा कर रहे पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने मौजूदा हालात के लिए सरकार पर जमकर आरोप लगाए। साथ ही पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भी ट्वीट किया कि ग्वालियर- चम्बल में आई भीषण बाढ़ से हुए नुक़सान का सरकार की तरफ़ से अभी तक कोई मुआवज़ा नहीं? श्योपुर के मानपुर क़स्बे के किसान बाबूलाल की सब कुछ बर्बाद होने के सदमे से हुई दुखद मौत ? ऐसी घटनाओं को रोकने के लिये सरकार तत्काल मुआवज़ा प्रदान करें। जाहिर तौर पर कांग्रेस बाढ से बर्बादी के मुद्दे को लगातार उठाकर सरकार को घेरने की रणनीति पर काम कर रही है।
दूसरी तरफ सरकार भी पूरी तरह से मोर्चे पर डटी है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने खुद अधिकारियों के साथ बैठक कर उन्हें जरुरी निर्देश दिए। बैठक में केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और नरेंद्र सिंह तोमर भी जुड़े थे, साथ ही टॉस्क फोर्स के मंत्री और प्रभावित जिलों के प्रभारी मंत्री भी बैठक में शामिल हुए। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से कहा कि हमारी कोशिश होनी चाहिए कि बाढ़ प्रभावित भी आजादी का अमृत महोत्सव आनंद से मना सके। राहत, पुनर्वास, पुर्ननिर्माण में कोई कोर कसर नही छोड़ी जाए। मुख्यमंत्री ने 15 अगस्त के बाद बाढ़ प्रभावित जिलों का दौरा करने और वही समीक्षा करने की बात भी कही। वैसे दिग्विजय सिंह के हमलों का जवाब सरकार की तरफ से नरोत्तम मिश्रा और विश्वास सारंग ने दिया।
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सिंधिया के बीजेपी के जाने के बाद ग्वालियर चंबल में मजबूत नेतृत्व की कमी से जूझ रही कांग्रेस को मालूम है कि यदि यहां जमीन मजबूत करना है, तो लोगों से संपर्क बनाना होगा। लिहाजा पार्टी के तमाम नेता बाढ़ के वक्त पूरे इलाके में सक्रिय रहे।
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