Sawan Special : यहां विराजमान हैं देश की एकमात्र भगवान शिव की दूल्हावेश प्रतिमा, कई रहस्यों से घिरा है ये स्थान |

Sawan Special : यहां विराजमान हैं देश की एकमात्र भगवान शिव की दूल्हावेश प्रतिमा, कई रहस्यों से घिरा है ये स्थान

Removed the secret of bridegroom in Gaurishankar temple: उपकाशी हटा के देवश्री गौरीशंकर मंदिर में दुल्हावेश में विराजमान हैं।

Edited By :   Modified Date:  August 20, 2023 / 09:23 PM IST, Published Date : August 20, 2023/3:55 pm IST

The bridegroom statue of Lord Shiva at Devshree Gaurishankar temple in Hata : हटा। उपकाशी हटा के देवश्री गौरीशंकर मंदिर में दुल्हावेश में विराजमान हैं। शिवजी देश की एक्मात्र प्रतिमा के दर्शनों को दूर दूर से पँहुचते हैं श्रद्धालु उपकाशी हटा नगर में सुनार नदी किनारे स्थित अति प्राचीन देवश्री गौरीशंकर मंदिर में भगवान शिवशंकर भोलेनाथ दूल्हा भेषधारी पार्वतीजी के साथ विराजे है।

read more : भोजपुरी क्वीन के ठुमके देख कायल हुए फैंस, फिर हुआ कुछ ऐसा, देख शर्म से लाल हुए यूजर्स… 

कितना पुराना है ये मंदिर

The bridegroom statue of Lord Shiva at Devshree Gaurishankar temple in Hata : 400 वर्ष से अधिक समय पूर्व विक्रमसंवत 1641 के लगभग हटा की मालगुजारिन हजारिन बहूरानी ने अपने पति की मृत्यु उपरांत यंहा पति की स्मृति में जिस चबूतरा का निर्माण कराया था। उसी पर करीब 3 फुट उंची दूल्हाभेषधारी नंदी पर सवार भगवान शिव जी की आकर्षक दुल्हावेश प्रतिमा स्थापित की गई। जिनके साथ मां पार्वती जी भी नन्दी पर सवार है।

 

क्या है मान्यता

मान्यता है कि यंहा भगवान भोलनाथ का विवाह के समय दरबार सजा है। जिनके दहिनेवर्ती सूंड वाले गजानन और बांयी और बटुक भैरव को स्थापित किया गया है। मूर्तियों के बीच में देवासुर संग्राम में भगवान शिव के सेनापति रहे। कीर्तिमुख के भी दर्शन हो रहे है। जिनकी पूजा शिवजी से पहले पर्दा लगाकर की जाती है।

read more : MP assembly election 2023: ग्वालियर-चंबल संभाग में हो रही प्रदेश कार्यसमिति की बैठक के कई मायने, बीजेपी सांसद का बड़ा बयान 

विश्व का इकलौता ऐसा मंदिर

मंदिर के पुजारी पंडित राम सुजान पाठक ने बताया की देवश्री गौरीशंकर जी भगवान की नियमित दिनचर्या विगत कई वर्षो निर्धारित है। गौरीशंकर मंदिर में भगवान शिव दुल्हावेश में विराजे है। यह विश्व का इकलौता ऐसा मंदिर है जंहा भगवान दुल्हावेश में है। करीब 400 वर्ष से अधिक प्राचीन यह मंदिर लोगो की आस्था और विश्वास का केंद्र है। यहां सावन मास में विशेष आयोजन होते हैं। हर सोमवार विशेष पूजा अर्चना होती है। गौरीशंकर मंदिर उपकाशी हटा सहित समूचे क्षेत्र के श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है।

read more : Big Breaking: फेल हुआ मिशन चन्द्रमा.. चाँद पर क्रैश हुआ स्पेसक्राफ्ट.. देशभर में निराशा..

भगवान की होती है अच्छी खातिरदारी

सूर्योदय के साथ ही देवश्री के मंगल जागरण आरती के साथ पट खोले जाते है। इसके साथ ही सुबह 8 बजे भगवान का स्नान पूजन होता, फिर 10 बजे तक अभिषेक पाठ होता है, इसके बाद अभिषेक आरती व भगवान को प्रसाद समर्पित किया जाता है। 11 बजे राजभोज की थाली जिसमें दाल, चावल, सब्जी, रोटी, दूध भेंट होती है, विभिन्न पर्व पर खीर, हलुआ, पुरी, पापड, सलाद की थाली लगाई जाती है, राजभोग के बाद पुनः आरती होती है। दोपहर 12 बजे भगवान के दरबार में शयन आरती होती है, सायं 4.30 बजे पुनः जागरण आरती होती है, साथ ही प्रारंभ हो जाता है भगवान का श्रृंगार, सायं 730 बजे से संध्या आरती व प्रसाद का वितरण होता है, भगवान की बियारी में मीठा प्रसाद रखा जाता है, रात 9.15 बजे शयन आरती के साथ भगवान विश्राम करते है। यह दिनचर्या प्रतिदिन अनवरत चल रही है।

 

(हटा से IBC24 ​नरेश मिश्रा की रिपोर्ट)

 

और भी लेटेस्ट और बड़ी खबरों के लिए यहां पर क्लिक करें