देखिए मंदसौर विधानसभा के विधायकजी का रिपोर्ट कार्ड

देखिए मंदसौर विधानसभा के विधायकजी का रिपोर्ट कार्ड

देखिए मंदसौर विधानसभा के विधायकजी का रिपोर्ट कार्ड
Modified Date: November 29, 2022 / 08:31 pm IST
Published Date: September 21, 2018 11:19 am IST

मंदसौर। विधायकजी के रिपोर्ट कार्ड में आज बारी है मध्यप्रदेश के मंदसौर विधानसभा सीट की। मंदसौर विधानसभा क्षेत्र में सियासत का पारा कुछ ज्यादा ही ऊपर पहुंच गया हैयहां नेता हर वो जरिया ढूंढ रहे हैं जो उन्हें सत्ता के शीर्ष तक पहुंचा सके और मंदसौर में नेताओ को वो जरिया नजर आ रहा है किसान और उनसे से जुड़े मुद्दों मेंटिकट के हर दावेदार का दावा है कि वो क्षेत्र के किसानों के सबसे बड़े हितैषी हैंवैसे किसान से लेकर अवैध अतिक्रमण सहित कई बुनियादी मुद्दों को लेकर यहां चुनाव लड़ा जाना तय है।

मध्यप्रदेश में बीते साल जून महीने में हुए किसान आंदोलन और गोलीकांड को आज डेढ़ साल से ज्यादा वक्त हो गया लेकिन उस घटना को लेकर आज भी मंदसौर मे सियासत जारी हैजाहिर है आने वाले चुनाव में भी खासकर मंदसौर विधानसभा क्षेत्र में किसान सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा होगाचुनाव होने में अब कुछ महीने बचे हैं..ऐसे में कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही यहां अपने को किसानों की हितैषी बताने की पुरजोर कोशिश कर ही हैबीजेपी कहती है कि कांग्रेस किसानों को भड़का रही है तो कांग्रेस का आरोप है कि राज्य सरकार की किसान विरोधी नीतियों के चलते किसान आंदोलन करने को मजबूर हैं।

 ⁠

यह भी पढ़ें : भगवान भरोसे मरीजों की जान, स्वीपर चढ़ाते हैं सलाइन और लगाते हैं इंजेक्शन

आने वाले चुनाव में मंदसौर में एट्रोसिटी एक्ट में हो रहे विरोध का असर भी देखने को मिल सकता हैखासतौर पर आरक्षण और एट्रोसिटी एक्ट के बड़े मुद्दे पर सामान्य वर्ग सरकार की चुप्पी से नाराज हैवहीं किसान आंदोलन के बाद से ग्रामीण इलाकों में अभी भी किसानों एमएसपी मूल्य पर फसलों के दाम को लेकर किसान अड़े हुए हैं

किसानों की नाराजगी के अलावा यहां बुनियादी सुविधाओं की कमी को लेकर भी नेताओ को जनता के सवालों का जवाब देना होगा। रोजगार, शिक्षा और स्वास्थ्य के मोर्चे पर फेल नजर आता है मंदसौर विधानसभा क्षेत्रउद्योग-धंधों की कमी के कारण स्थानीय युवा पलायन को मजबूर हैवहीं मेडिकल कॉलेज की मांग अब तक पूरी नहीं हुई है। इकलौता जिला अस्पताल रेफर सेंटर बनकर रह गया हैक्षेत्र के लोगों को उपचार के लिए राजस्थान और गुजरात का रूख करना पड़ता है।

इसके अलावा पिछले दो सालो से किसानों के घरों में डोडाचूरा पड़ा है, जिसे सरकार ने खरीदने का वादा कियालेकिन मामला ठंडे बस्ते में है वहीं आगामी चुनाव में मादक पदार्थो की तस्करी और अवैध अतिक्रमण जैसे मुद्दे भी हावी रहेंगे वहीं सरकारी नालों और तेलिया तालाब जैसे बड़े मुद्दे पर जनता जवाब मांग रही है। मंदसौर विधानसभा क्षेत्र की पहचान बीजेपी के गढ़ के रूप में है। कांग्रेस ने यहां आखिरी बार 1998 में जीत दर्ज की थीउसके बाद से यहां बीजेपी के प्रत्याशी विधानसभा पहुंच रहे हैं। हालांकि पिछले तीन चुनावों में कांग्रेस की असफलता की बड़ी वजह यहां उसकी अंदरूनी गुटबाजी भी है इसके बावजूद बीजेपी को हर बार कांग्रेस से कड़ी चुनौती मिलती रही है।

मंदसौर विधानसभा क्षेत्र के सियासी मूड को भांपना आसान नहीं हैमंदसौर जिले की बाकी तीन विधानसभा सीटों की तरह इस चुनाव क्षेत्र के सियासी समीकरण भी बदलते रहे हैंइतिहास की धरोहरों और भविष्य के सपनों को अपने में समेटे इस इलाके के अपने कुछ दर्द भी हैंवैसे तो मंदसौर बीजेपी का गढ़ माना जाता हैलेकिन बीच-बीच में कांग्रेस भी यहां अपनी मौजूदगी दर्ज कराती रही हैहालांकि सियासी जानकारों की माने तो कांग्रेस यहां अपनी गुटबाजी की वजह से बीजेपी से पीछे रह जाती है।

मंदसौर के सियासी इतिहास की बात की जाए तो 1998 में आखिरी बार यहां कांग्रेस को जीत मिली थीजब कांग्रेस के टिकट पर नव कृष्ण पाटिल यहां से चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचेलेकिन 2003 में बीजेपी के टिकट पर ओम प्रकाश पुरोहित ने ये सीट कांग्रेस से छिन ली। 2008 में बीजेपी ने यशपाल सिंह सिसोदिया को मैदान में उतारा, जिन्होंने कांग्रेस के महेंद्र सिंह गुर्जर को हराया। 2013 में भी यशपाल सिंह सिसोदिया पर बीजेपी ने भरोसा जताते हुए टिकट दियाइस बार भी उन्होंने महेंद्र सिंह गुर्जर को शिकस्त देकर विधानसभा पुहंचे। इस चुनाव में बीजेपी को जहां 84975 वोट मिलेवहीं कांग्रेस को 60680 वोट मिले इस तरह जीत का अंतर 24195 वोटों का रहा मिशन 2018 को लेकर एक बार फिर मंदसौर में सियासी माहौल गरमाने लगा है कांग्रेस यहां पुरजोर कोशिश कर रही है कि वो सीट पर बीजेपी के विजय रथ को रोकेवहीं बीजेपी यहां लगातार चौथी बार जीत दर्ज करने के मकसद से उतरेगी।

मंदसौर के बीजेपी विधायक यशपाल सिंह सिसोदिया यहां से हैट्रिक लगाने का सपना देख रहे हैंलेकिन पार्टी के अंदर दावेदारों की पूरी फौज ही खड़ी हो गई हैउधर कांग्रेस में भी एक अनार सौ बीमार वाली स्थिति हैयही वजह है कि इस बार राजनीतिक दल किसी भी तरह की जल्दबाजी से बचना चाहते हैंलिहाजा प्रत्याशियों के नामों का ऐलान करने में सब वेट एंड वॉच की स्थिति में हैं।

यह भी पढ़ें : मासूम से फिर ज्यादती, स्कूल वैन के क्लीनर ने किया दुष्कर्म

किसान आंदोलन को लेकर पिछले कुछ समय से पूरे देश में सुर्खियों में रहने वाले मंदसौर में इन दिनों सियासत पूरे जोर पर हैखासतौर पर आने वाले चुनाव को लेकर टिकट दावेदार अपने दावों के साथ सक्रिय नजर आ रहे हैं टिकट दावेदारी को लेकर कांग्रेस हो या बीजेपी दोनों ही दलों में काफी खींचतान है सत्तारूढ़ बीजेपी की बात की जाए तो मंदसौर में वर्तमान विधायक यशपाल सिंह सिसोदिया टिकट के प्रबल दावेदार हैंपार्टी में कद्दावर नेताओँ में शामिल बीजेपी विधायक कार्यकर्ताओं के बीच सीधी पैठ रखते हैंवहीं शहर सहित ग्रामीण अंचलों में भी उनकी पकड़ अच्छी हैहालांकि किसान आंदोलन के दौरान क्षेत्र में उनकी गैरमौजूदगी को लेकर भी काफी सवाल उठेइसके सबके बावजूद बीजेपी विधायक अपने टिकट को लेकर आश्वस्त हैं।

मंदसौर में बीजेपी आलाकमान के लिए इस बार टिकट फाइनल करना इतना आसान नहीं होगा वर्तमान विधायक के अलावा कई नेता हैं जो टिकट के लिए अपना दावा ठोंक रहे हैंइस लिस्ट में सबसे प्रह्लाद बंधवार का नाम सबसे आगे हैवर्तमान में मंदसौर नगर पालिका अध्यक्ष प्रह्लाद की ईमानदारी छवि उनके टिकट दावेदारी को मजबूत बनाती हैहालांकि तेलिया तालाब और शासकीय भूमि पर अवैध अतिक्रमण करने का आरोप भी उनपर लगे हैंऐसे में पार्टी उनपर कितना भरोसा जताएगीये तो वक्त बताएगाइनके अलावा नरेंद्र पाटीदार का नाम तीसरे दावेदार के रूप में सामने आ रहा हैमंदसौर ग्रामीण मंडल के अध्यक्ष और वर्तमान विधायक के खास माने जाते हैं।

जहां तक कांग्रेस का सवाल है, कई नेता सीट को जीतने का दावा कर अपनी टिकट की दावेदारी कर रहे हैं कांग्रेस से संभावित दावेदारों में विपिन जैन का नाम सबसे आगे हैविपिन मंदसौर की सबसे बड़ी ग्राम पंचायत दलौदा के सरपंच हैंग्रामीण इलाके के अलावा युवा वर्ग में भी उनकी अच्छी पकड़ हैजैन होने के चलते वो सामाजिक वोट बैंक को भी स्विंग करने में सक्षम हैंविपिन जैन का भी मानना है कि पार्टी अगर उनपर भरोसा करती है तो वो जीतकर आएंगे। कांग्रेस में दूसरे बड़े दावेदार सोमिल नाहटा हैं पूर्व मंत्री नरेंद्र नाहटा के भतीजे सोमिल को राजनीति विरासत में मिली है युवाओं में लोकप्रिय होने के साथ शहरी औ ग्रामीण इलाको में मजबूत पकड़ है। इसके अलावा सिंधिया गुट से आने वाले मुकेश काला भी मंदसौर से टिकट के लिए ताल ठोंक रहे हैंहालांकि मतदाताओं के बीच ज्यादा संपर्क नहीं होना उनके टिकट मिलने की वजह बन सकता है

कुल मिलाकर मंदसौर में दोनों ही दलों में दावेदारों की भीड़ है और इस भीड़ में से ही वो बागी पैदा हो सकते हैं जो पार्टियों के चुनाव गणित को बिगाड़ सकते हैं। ऐसे में 2018 के सियासी संग्राम से पहले दोनों राजनीतिक पार्टियों के सामने सबसे बड़ी चुनौती है कि वो सही कैंडिडेट का चुनाव करें।

 वेब डेस्क, IBC24


लेखक के बारे में

Shahnawaz Sadique is a digital marketing powerhouse with over 11 years of experience in the industry. His expertise encompasses a wide range of skills, from content writing and affiliate marketing to product launches and email campaigns. With 11 years of experience in social media, SMM, and SEO, he's an expert at helping businesses increase their online reach. From travel to business, education, media, tech, and cyber security, Shahnawaz has a proven track record of delivering results for clients across various sectors. Shahnawaz is also working as Sr. Digital Marketing Manager @ IBC24 News. He has a 8+ years of releveant experince in news industry as well. Want to take your media company to the next level? Look no further than Shahnawaz Sadique, He has been featured in top publications like FoxNews, Yahoo, MSN, WordStream, TastyEdits, LifeWire, SheFinds , Tech.Co and many more. the ultimate digital marketing pro.