शह मात The Big Debate: खाद की ‘होम’ डिलीवरी…’प्रोजेक्ट’ पर पॉलिटिक्स भारी! ‘होम डिलीवरी’ से खाद की कालाबाजारी पर लगेगी लगाम? देखें रिपोर्ट
MP News: खाद की 'होम' डिलीवरी...'प्रोजेक्ट' पर पॉलिटिक्स भारी! 'होम डिलीवरी' से खाद की कालाबाजारी पर लगेगी लगाम? देखें रिपोर्ट
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- शाजापुर में यूरिया की कमी से किसानों ने हाईवे जाम कर हंगामा किया
- सरकार ने विदिशा, शाजापुर और जबलपुर में खाद की होम डिलीवरी पायलट प्रोजेक्ट की घोषणा की
- कांग्रेस ने प्रोजेक्ट पर सवाल उठाए
भोपाल: MP News ये आक्रोश झूमाझटकी और जोरदार हंगामे की एमपी के शाजापुर की हैं। जो खाद की होमडिलीवरी के पायलट प्रोजेक्ट का हिस्सा है। रबी की बुवाई का सीजन आते ही खाद को लेकर एक बार फिर मारा-मारी शुरु हो गई है। शाजापुर में यूरिया न मिलने के चलते नाराज किसानों ने हाईवे जाम कर हंगामा मचाया। टंकी चौराहा स्थित सोसायटी पर पत्थर भी फेंके।
MP News जहां एक ओर सूबे में खाद का संकट जारी है। किसान परेशान हैं। इसी बीच मोहन सरकार विदिशा,शाजापुर,जबलपुर जिलों में खाद की होम डिलीवरी का पायलट प्रोजेक्ट लांच करने की तैयारी में है।
बीजेपी सरकार खेती को लाभ का धंधा बनाने और पर्याप्त खाद पहुंचाने का दावा कर रही है, तो कांग्रेस ने सरकार के पायलट प्रोजेक्ट पर तंज कसा और आरोप लगाया कि- सरकार ने अभी तक खाद के लिए लाइन लगाकर, घर-घर डंडे पहुंचाए हैं। अब पायलट प्रोजेक्ट लेकर आई है
कुलमिलाकर खाद को लेकर सूबे का सियासी पार चढ़ा हुआ है..बीजेपी और कांग्रेस दोनों पार्टियां खुद को किसानों का सच्चा हितैषी साबित करने में जुटी हैं, लेकिन सवाल ये है कि- जब तमाम नेटवर्क मार्केटिंग कंपनियांं, फूड डिलीवरी कंपनियांं गांवों में- तय समय पर डिलीवरी नहीं करवा पा रही हैं। ऐसे में सरकार किसानों तक खाद कैसे पहुंचाएगी? सवाल ये भी कि- प्रदेश की सरकारी खाद दुकानोें में ही खाद की किल्लत बनी हुई है, ऐसे में खाद की उपलब्धता के बजाय होम डिलीवरी वाला प्रोजेक्ट कितना कारगर होगा? सवाल ये भी कि खाद के संकट से निजात दिलाए बगैर खेती कैसे लाभ का धंधा बनेगी? और अन्नदाता की आय कैसे दुगुनी होगी?

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