Mahakumbh 2025: महाकुंभ में लगा लोक कलाकार व भजन गायकों का जमावड़ा, खास वेशभूषा और मधुर गायकी से किया शिव महिमा का गुणगान

Mahakumbh 2025: महाकुंभ में लगा लोक कलाकार व भजन गायकों का जमावड़ा, खास वेशभूषा और मधुर गायकी से किया शिव महिमा का गुणगान

Mahakumbh 2025: महाकुंभ में लगा लोक कलाकार व भजन गायकों का जमावड़ा, खास वेशभूषा और मधुर गायकी से किया शिव महिमा का गुणगान

Mahakumbh 2025। Image Credit: IBC24

Modified Date: January 10, 2025 / 08:42 pm IST
Published Date: January 10, 2025 8:40 pm IST

प्रयागराज। Mahakumbh 2025: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में दुनिया का सबसे बड़ा मेला महाकुंभ शुरू होने वाला है। महाकुम्भ मेले की शुरूआत को अब सिर्फ कुछ ही दिन बाकी है। इस बार इस मेले का आयोजन 13 जनवरी से शुरू होगा जिसका समापन 26 फरवरी, 2025 को होगा। इस भव्य मेले देश -विदेश से लाखों करोड़ों की संख्या में लोग पहुंचते है। प्रयागराज में महाकुंभ के लिए अखाड़े सज चुके है और अखाड़ों में पूजा पाठ प्रवचनों का दौर भी शुरू हो गया है और इन सब के बीच जब अखाड़े में पहुंचेंगे तो आपको एक विशेष तरह की भक्ति धुन, एक विशेष तरह का संगीत सुनाई देगा जो अनायास आपको न सिर्फ मंत्र मुग्ध कर देगा बल्कि आपको अपनी ओर आकर्षित भी करेगा।

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इस दौरान महाकुंभ में  हिंदू शैव संप्रदाय के धार्मिक भिक्षु जंगम समुदाय भी पहुंचा , जिनके भजन गायकों का दल इन दिनों अखाड़े में भक्ति संगीत की स्वर लहरियां बिखेर रहा है। अलग-अलग छोटे-छोटे दलों में जंगल संप्रदाय के लोग साधु संतों के पास पहुंच रहे हैं। भजनों के जरिए शिव महिमा का गुणगान कर रहे हैं। उनकी वेशभूषा और उनकी गायकी पूरे महाकुंभ में आकर्षण का केंद्र बनी हुई है। महाकुंभ यानी संतों का पर्व ईश्वर की आराधना का पर्व। आस्था के इस कुंभ में जहां देश के कोने-कोने से साधु संत पहुंच रहे हैं तो वहीं लोक कलाकार भजन गायकों का भी यहां जमावड़ा हो रहा है। इस बार महाकुंभ में खास तौर पर जंगलसाधुओं का दल भी पहुंचा हुआ है।

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Mahakumbh 2025: जंगम साधु अपनी अलग वेशभूषा और गायकी के लिए पूरे महाकुंभ में पहचाने जा रहे हैं। सिर पर नाग प्रतिमा, मोर मुकुट, कानों में कुंडल और हाथ में कमंडल रखे जंगम साधु शैव संप्रदाय के पुजारी माने जाते हैं। किसी के घर में इनका आगमन शिव के आगमन जैसा माना जाता है। खास बात यह है कि ये जंगम साधु सिर्फ साधु सन्यासियों से ही दान लेते हैं। जंगम साधु पंडालों में पहुंच रहे हैं और अपनी अलग शैली में अखाड़े की गौरव गाथा और भगवान शिव की अलग-अलग लीलाओं का गुणगान शिव लहरियों के जरिए कर रहे हैं।

 

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