मुंबई, 24 दिसंबर (भाषा) ‘बम्बई नेचरल हिस्ट्री सोसाइटी’ (बीएनएचएस) और महाराष्ट्र वन विभाग ने हाल में अमरावती जिले के मेलघाट बाघ अभयारण्य में लंबी चोंच वाले 15 गिद्धों को ‘टैग’ करने का काम संपन्न किया है।
पक्षियों को मुख्य रूप से वैज्ञानिक अनुसंधान और संरक्षण के लिए उनकी गतिविधियों, प्रवास, जीवनकाल और जनसंख्या गतिशीलता का अध्ययन करने के लिए ‘टैग’ किया जाता है।
गत 19 दिसंबर को आयोजित ‘टैगिंग’ कार्यक्रम का नेतृत्व डॉ. सचिन रानाडे ने किया, जिसमें भास्कर दास और अथिरा को सहयोग मिला।
बीएनएचएस ने बुधवार को एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि 15 गिद्धों में से 11 को ‘जीएसएम टैग’ और चार को ‘सैटेलाइट पीटीटी टैग’ लगाए गए थे।
इसमें कहा गया है कि इसके अतिरिक्त, सभी गिद्धों के पैरों में नीले रंग के छल्ले लगाए गए थे जिन पर पहचान संख्या अंकित थी।
विज्ञप्ति में कहा गया है कि ये ‘टैग’ सौर ऊर्जा से संचालित होते हैं और वैज्ञानिकों को जंगल में छोड़े जाने के बाद गिद्धों की गतिविधि, तय की गई दूरी, सुरक्षा और जीवित रहने की संभावना पर नजर रखने में मदद करेंगे।
इसमें कहा गया है कि महाराष्ट्र के मुख्य वन्यजीव वार्डन श्रीनिवास रेड्डी इस पूरी परियोजना की निगरानी और मार्गदर्शन कर रहे हैं।
ये गिद्ध हरियाणा के पिंजोर स्थित गिद्ध संरक्षण प्रजनन केंद्र में पैदा हुए थे, जो भारत में बीएनएचएस का पहला ऐसा केंद्र है। बाद में इन्हें मेलघाट लाया गया, जहां उन्हें स्वयं भोजन करने का प्रशिक्षण दिया गया और छोड़े जाने से पहले अंतिम आठ महीनों तक उन्हें वातावरण के अनुसार ढलने दिया गया।
इस अवधि के दौरान, पक्षियों के स्वास्थ्य की नियमित रूप से जांच की जाती है और सीसीटीवी कैमरों के माध्यम से उनके प्राकृतिक व्यवहार की निगरानी की जाती है।
बीएनएचएस के निदेशक किशोर रिठे ने कहा कि गिद्धों को छोड़ने से पहले परिदृश्य को उनके लिए सुरक्षित बनाना एक महत्वपूर्ण कदम है।
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देवेंद्र माधव
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