जरांगे की तीखी प्रतिक्रिया के बाद मंत्री चंद्रकांत पाटिल ने अपना रुख किया नरम, ‘अच्छा दोस्त’ बताया

जरांगे की तीखी प्रतिक्रिया के बाद मंत्री चंद्रकांत पाटिल ने अपना रुख किया नरम, ‘अच्छा दोस्त’ बताया

जरांगे की तीखी प्रतिक्रिया के बाद मंत्री चंद्रकांत पाटिल ने अपना रुख किया नरम, ‘अच्छा दोस्त’ बताया
Modified Date: August 31, 2025 / 09:29 pm IST
Published Date: August 31, 2025 9:29 pm IST

मुंबई, 31 अगस्त (भाषा) भाजपा नेता और महाराष्ट्र के मंत्री चंद्रकांत पाटिल ने रविवार शाम मराठा आरक्षण पर अपना रुख नरम करते हुए खुद को मनोज जरांगे का ‘‘अच्छा दोस्त’’ बताया।

पाटिल का यह बयान ऐसे समय में आया है जब कुछ घंटे पहले ही जरांगे ने उन पर समुदाय के बारे में गलत बयान देने का आरोप लगाया था।

मंत्री ने संवाददाताओं से कहा कि जरांगे की कुछ मांगों को पूरा किया जा सकता है। इससे पहले, सोलापुर जिले में पाटिल ने कहा था कि मराठा समुदाय को कभी छुआछूत का सामना नहीं करना पड़ा और वे जातिगत रूप से पिछड़े नहीं हैं, लेकिन जोतों का आकार घटने और घटती कृषि आय ने समुदाय के सदस्यों को वित्तीय संकट में डाल दिया है।

 ⁠

पाटिल ने सुबह संवाददाताओं से कहा था, ‘‘समस्या उस वक्त शुरू हुई जब कृषि आय में गिरावट आई और मराठा परिवार अपने बच्चों के लिए महंगी मेडिकल पढ़ाई जैसी बेहतर शिक्षा का खर्च नहीं उठा पा रहे हैं। इसलिए वे शिक्षा और नौकरियों में आरक्षण की मांग कर रहे हैं। केंद्र का आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) कोटा, जिसे उच्चतम न्यायालय ने बरकरार रखा है, उनकी सहायता का मार्ग प्रशस्त करता है।’’

पाटिल ने यह भी दावा किया कि यह आंदोलन ‘‘राजनीतिक आरक्षण के लिए है क्योंकि शिक्षा और सरकारी नौकरियों में अवसर पहले से ही अन्य प्रावधानों के माध्यम से उपलब्ध हैं।’’ हालांकि, उन्होंने अपनी टिप्पणी के बारे में विस्तार से नहीं बताया।

शुक्रवार से दक्षिण मुंबई के आजाद मैदान में अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठे जरांगे ने इस टिप्पणी पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की।

उन्होंने कहा, ‘‘चंद्रकांत पाटिल को कुछ समझ नहीं आ रहा है। उन्हें चुप रहना चाहिए और मराठा समुदाय का अपमान करने से बचना चाहिए। अगर वह समुदाय के बारे में गलत बोलेंगे, तो उन्हें इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी। हम ओबीसी हैं और हमें ओबीसी कोटे से आरक्षण मिलना चाहिए। मैं अपनी इस मांग पर अडिग हूं।’’

जरांगे मराठों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण और समुदाय को कुनबी के रूप में मान्यता देने की मांग कर रहे हैं – जो अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी में सूचीबद्ध एक कृषि प्रधान जाति है।

हालांकि बाद में शाम को, पाटिल ने अपना रुख नरम करते हुए कहा कि उन्होंने एक कानूनी विशेषज्ञ से सलाह ली है, जिन्होंने सुझाव दिया है कि जरांगे की कुछ मांगों को माना जा सकता है।

पाटिल ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘मैं मनोज जरांगे का अच्छा दोस्त हूं और जब मैं मराठा आरक्षण के लिए महाराष्ट्र सरकार द्वारा नियुक्त कैबिनेट उप-समिति का प्रमुख था, तब मैंने उनसे कई बार मुलाकात की।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मैंने अभी एक कानूनी विशेषज्ञ से 20 मिनट बात की है। उन्होंने कहा है कि जरांगे की कुछ मांगें पूरी की जा सकती हैं। जरांगे मराठों को ओबीसी में श्रेणीबद्ध करने पर अड़े हुए हैं और कानूनी विशेषज्ञ को पूरा विश्वास है कि इस मुद्दे का समाधान निकाला जा सकता है।

पाटिल ने मीडिया से उनके और मराठा आरक्षण आंदोलन का नेतृत्व कर रहे कार्यकर्ता (जरांगे) के बीच मतभेद पैदा न करने की अपील की।

पाटिल ने सुबह यह भी कहा था कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस कभी भी कठोर नहीं रहे, लेकिन कुछ संवैधानिक सीमाएं थीं। उन्होंने कहा, ‘‘आम तौर पर प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री से मिलने आते हैं, न कि उनसे मिलने। हालांकि, वह इतने लचीले हैं कि वह जा भी सकते हैं। लेकिन इससे समाधान निकलना चाहिए, न कि केवल अपमान हो।’’

भाषा सुभाष नरेश

नरेश


लेखक के बारे में