मुंबई, 13 अप्रैल (भाषा) राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) की एक विशेष अदालत ने कहा है कि एल्गार परिषद-माओवादी संपर्क मामले में आरोपी मानवाधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा और पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के एक एजेंट सैयद गुलाम नबी फई के बीच सांठगांठ थी।
फई को अमेरिका में आतंकी वित्तपोषण मामले में दोषी ठहराया गया था।
अदालत ने नवलखा को जमानत देने से इनकार करते हुए अपने आदेश में कहा कि नवलखा के आईएसआई एजेंट से संबंध दिखाई देते हैं।
बम्बई उच्च न्यायालय ने पिछले महीने विशेष न्यायाधीश द्वारा पारित एक आदेश को रद्द कर दिया था और उन्हें नवलखा की जमानत याचिका पर फिर से सुनवाई करने का निर्देश दिया था।
उच्च न्यायालय ने कहा था कि विशेष अदालत के आदेश में अभियोजन पक्ष द्वारा दिये गये सबूतों का विश्लेषण शामिल नहीं था।
एनआईए की अदालत की अध्यक्षता कर रहे विशेष न्यायाधीश राजेश कटारिया ने नए सिरे से दलीलें सुनने के बाद छह अप्रैल को 69 वर्षीय कार्यकर्ता को जमानत देने से इनकार कर दिया।
विस्तृत आदेश बृहस्पतिवार को उपलब्ध कराया गया।
नवलखा को अगस्त, 2018 में गिरफ्तार किया गया था और शुरुआत में उन्हें घर में नजरबंद रखा गया था। उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद अप्रैल, 2020 में उन्हें नवी मुंबई के तलोजा केंद्रीय कारागार में स्थानांतरित कर दिया गया था।
पिछले साल 10 नवंबर को उच्चतम न्यायालय ने एक महीने के लिए नजरबंदी में भेजने की उनकी याचिका मंजूर कर ली थी। नवलखा वर्तमान में महाराष्ट्र के ठाणे जिले के नवी मुंबई में रह रहे हैं।
नवलखा को जिस मामले में गिरफ्तार किया गया था, वह 31 दिसंबर, 2017 को पुणे में आयोजित एल्गार परिषद सम्मेलन में दिए गए कथित भड़काऊ भाषणों से संबंधित है। पुणे पुलिस के अनुसार, इन भाषणों की वजह से अगले दिन कोरेगांव भीमा युद्ध स्मारक के आसपास के क्षेत्र में जातीय दंगे हुए थे। बाद में मामले की जांच एनआईए ने अपने हाथ में ले ली थी।
भाषा
देवेंद्र पवनेश
पवनेश
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