राकांपा ने 2014 में संप्रग सरकार से समर्थन वापस नहीं लिया होता तो मराठों को कोटा मिल गया होता : पृथ्वीराज

राकांपा ने 2014 में संप्रग सरकार से समर्थन वापस नहीं लिया होता तो मराठों को कोटा मिल गया होता : पृथ्वीराज

राकांपा ने 2014 में संप्रग सरकार से समर्थन वापस नहीं लिया होता तो मराठों को कोटा मिल गया होता : पृथ्वीराज
Modified Date: November 28, 2023 / 11:23 pm IST
Published Date: November 28, 2023 11:23 pm IST

(फाइल फोटो के साथ)

मुंबई, 28 नवंबर (भाषा) महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता पृथ्वीराज चव्हाण ने दावा किया कि अगर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) ने 2014 के विधानसभा चुनाव से पहले उनके नेतृत्व वाली संप्रग सरकार से समर्थन वापस नहीं लिया होता तो मराठा समुदाय को पक्का आरक्षण मिल गया होता।

वरिष्ठ राकांपा नेता सुनील तटकरे (अजित पवार खेमा) ने चव्हाण पर पलटवार किया और आरक्षण मुद्दे पर (शरद पवार द्वारा स्थापित) पार्टी को दोषी ठहराने के पीछे की उनकी मंशा पर सवाल उठाया ।

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तटकरे ने पवार का नाम लिए बिना कहा कि चव्हाण के नेतृत्व वाली सरकार से समर्थन वापस लेने का फैसला पार्टी के शीर्ष नेता के साथ चर्चा के बाद लिया गया था।

चव्हाण ने पुणे में संवाददाताओं से कहा, ‘‘ अगर 2014 के विधानसभा चुनाव से पहले राकांपा ने मेरी सरकार से समर्थन वापस नहीं लिया होता, तो हम संयुक्त रूप से चुनाव लड़ते और सत्ता में वापस आते। बंबई उच्च न्यायालय में हमारी आरक्षण योजना को चुनौती देने वाला मामले में हम लड़ सकते थे और यह सुनिश्चित कर सकते थे कि हमारा फैसला अदालत में टिका रहे।’’

उन्होंने कहा, ‘‘जब मैंने राज्य का नेतृत्व किया तो 50 साल में पहली बार मराठा आरक्षण के लिए निर्णायक रुख अपनाया गया।

इस बीच, चव्हाण ने कहा कि सहकारी क्षेत्र के संबंध में सख्त फैसले लेने के लिए उन्हें भारी राजनीतिक कीमत चुकानी पड़ी और याद किया कि जब वह मुख्यमंत्री थे तो महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक के निदेशक मंडल को (आरबीआई द्वारा) कैसे भंग कर दिया गया था।

उन्होंने कहा, ‘‘राज्य में सहकारी समितियां अनुशासनहीन कार्य संस्कृति के लिए जानी जाती हैं। हर्षद मेहता घोटाले के बाद, मैंने सहकारी क्षेत्र का अध्ययन किया। नवंबर 2010 में जब मैं मुख्यमंत्री बना तो मैंने सहकारिता क्षेत्र में कुछ सख्त फैसले किये।’’

उन्होंने कहा, ‘‘महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक को एक प्रशासक के अधीन कर दिया गया और उसके बोर्ड को हटा दिया गया। मैंने उन फैसलों के लिए राजनीतिक रूप से बहुत भारी कीमत चुकाई।’’

चव्हाण के दावों पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए, तटकरे ने कहा,‘‘मैं 2009-14 के दौरान राज्य मंत्रिमंडल का हिस्सा था, जब नारायण राणे की अगुवाई में एक समिति का गठन किया गया था।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मराठा आरक्षण राणे समिति की रिपोर्ट के आधार पर दिया गया था, जिसे बंबई उच्च न्यायालय ने रद्द कर दिया।’’

तटकरे ने कहा, ‘‘मैं चव्हाण जैसे वरिष्ठ नेता की राकांपा को दोष देने की मंशा नहीं समझ सकता।’’

उन्होंने आरोप लगाया कि चव्हाण की वजह से कांग्रेस महाराष्ट्र में चौथे स्थान पर रही।

भाषा रंजन राजकुमार


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