मैं अब भी बांग्लादेश को मित्र कहना पसंद करता हूं, उम्मीद है कि वहां हालात सुधरेंगे: नौसेना प्रमुख

मैं अब भी बांग्लादेश को मित्र कहना पसंद करता हूं, उम्मीद है कि वहां हालात सुधरेंगे: नौसेना प्रमुख

मैं अब भी बांग्लादेश को मित्र कहना पसंद करता हूं, उम्मीद है कि वहां हालात सुधरेंगे: नौसेना प्रमुख
Modified Date: November 30, 2025 / 11:07 pm IST
Published Date: November 30, 2025 11:07 pm IST

पुणे, 30 नवंबर (भाषा) नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश त्रिपाठी ने रविवार को कहा कि वह अब भी बांग्लादेश को मित्र कहना पसंद करते हैं और उम्मीद करते हैं कि पड़ोसी देश में स्थिति सुधरेगी।

पिछले साल अगस्त में बांग्लादेश में छात्रों के नेतृत्व में हुए विरोध-प्रदर्शन के कारण शेख हसीना सरकार गिर गई थी, जिसके बाद वहां एक ऐसी सरकार बनी, जिसका भारत के प्रति दोस्ताना रुख नहीं रहा है। भारत में शरण लेने वाली हसीना को 17 नवंबर को एक विशेष न्यायाधिकरण ने उनकी गैरमौजूदगी में ‘मानवता के खिलाफ अपराध’ का दोषी करार देते हुए मौत की सजा सुनाई थी।

बांग्लादेश ने कहा है कि वह भारत से जल्द से जल्द हसीना के प्रत्यर्पण की उम्मीद करता है।

 ⁠

नौसेना प्रमुख ने एक सवाल के जवाब में कहा कि वह बांग्लादेश को मित्र के अलावा कुछ और कहने से अब भी परहेज करेंगे, क्योंकि यह एक अस्थायी और क्षणिक दौर हो सकता है।

उन्होंने कहा, ‘‘हमें इंतजार करना होगा। बांग्लादेश में अभी चुनाव होने बाकी हैं, इसलिए हमें अभी अपनी टिप्पणी बचाकर रखनी चाहिए।’’

नौसेना प्रमुख ने कहा, ‘‘हम यहां उनके कर्मियों को प्रशिक्षण दे रहे हैं। मैंने आज सुबह ही एनडीए से पास आउट हुए एक बांग्लादेशी अधिकारी कैडेट से मुलाकात की। सेना प्रमुख का पदभार ग्रहण करने के बाद, मेरी पहली यात्रा बांग्लादेश की निर्धारित थी। एक और राजधानी की यात्रा का भी प्रस्ताव था, लेकिन मैंने मना कर दिया। (मैंने कहा) मुझे बांग्लादेश जाना चाहिए, जो हमारा पहला साझेदार है। गर्मजोशी, आतिथ्य और भारत ने जो कुछ किया है, उसके प्रति अद्भुत भावना थी।’’

उन्होंने कहा कि वह हमेशा आशावादी और आश्वस्त रहेंगे कि जहां तक ​​बांग्लादेश का सवाल है, चीजें बदल जाएंगी।

वह यहां नौसेना फाउंडेशन पुणे इकाई द्वारा आयोजित ‘भारतीय नौसेना : भू-राजनीति, प्रौद्योगिकी और रणनीति के बीच नौवहन’ विषय पर एडमिरल जेजी नाडकर्णी स्मारक व्याख्यान देने के बाद प्रश्न-उत्तर सत्र में शामिल हुए थे।

पाकिस्तानी नौसेना द्वारा स्वदेशी हाइपरसोनिक पोत रोधी बैलिस्टिक मिसाइल एसएमएएसएच के सफल परीक्षण से जुड़े सवाल पर एडमिरल त्रिपाठी ने कहा, ‘‘हम भी राष्ट्रीय स्तर पर इसकी तैयारी कर रहे हैं। हमारे कई वैज्ञानिक इस पर काम कर रहे हैं। यह विघटनकारी और विशिष्ट प्रौद्योगिकियों में से एक है, जिस पर हम डीआरडीओ और उद्योग के साथ सहयोग कर रहे हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हमने यह चुनौती सभी प्रतिभाशाली लोगों के सामने रखी है और हम आपके सुझावों की प्रतीक्षा कर रहे हैं। मैं आपको आश्वस्त कर सकता हूं कि सरकारी स्तर पर खतरे और आवश्यक प्रतिक्रियाओं को पूरी तरह से स्वीकार किया गया है और बहुत से लोग इस पर सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं।’’

यह पूछे जाने पर कि क्या भारतीय नौसेना को उसी तरह एकीकृत किया गया है, जिस तरह ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान भारतीय वायु सेना और सशस्त्र बलों की वायु रक्षा को एकीकृत किया गया था, एडमिरल त्रिपाठी ने कहा कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ अब भी जारी है और इससे जुड़ी किसी भी चीज पर चर्चा से बचना चाहिए।

उन्होंने कहा, ‘‘तीनों सेनाओं की वायु रक्षा एकीकृत है। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान ऐसा किया गया था और नौसेना पूरी तरह से इस राह पर है।’’

यह पूछे जाने पर कि क्या दक्षिण चीन सागर में चीन के जासूसी जहाजों की मौजूदगी मिसाइल परीक्षणों में देरी का कारण बन रही है, नौसेना प्रमुख ने ‘न’ में जवाब दिया।

उन्होंने कहा, ‘‘मैंने भी चीनी जासूसी जहाजों की मौजूदगी से जुड़ी खबरें पढ़ी हैं, लेकिन मुझे इसके चलते किसी भी परीक्षण में देरी होने के बारे में कोई जानकारी नहीं है। यह किसी की मनगढ़ंत कहानी हो सकती है, या फिर किसी उद्देश्य के चलते फैलाया जा रहा विमर्श भी हो सकता है।’’

भाषा धीरज पारुल

पारुल


लेखक के बारे में