पहलगाम हमले में बची जलगांव की महिला ने कहा, ‘जरूर कुछ अच्छे कर्म किए होंगे कि जिंदा हूं’

पहलगाम हमले में बची जलगांव की महिला ने कहा, ‘जरूर कुछ अच्छे कर्म किए होंगे कि जिंदा हूं’

पहलगाम हमले में बची जलगांव की महिला ने कहा, ‘जरूर कुछ अच्छे कर्म किए होंगे कि जिंदा हूं’
Modified Date: April 23, 2025 / 01:56 pm IST
Published Date: April 23, 2025 1:56 pm IST

मुंबई, 23 अप्रैल (भाषा) महाराष्ट्र के जलगांव शहर में ‘आकाशवाणी’ में बतौर अंशकालिक उद्घोषक के रूप में काम करने वाली नेहा उर्फ ​​किशोरी वाघुलाडे पहलगाम आतंकी हमले में बाल-बाल बच गईं। उनका कहना है कि उन्होंने जीवन में जरूर कुछ अच्छे कर्म किए होंगे, जिसकी बदौलत वह आज सुरक्षित हैं।

नेहा वाघुलाडे भी छुट्टियां मनाने निकले लोगों के एक समूह के साथ पहलगाम गई थीं और मंगलवार अपराह्न को वह भी वहां बैसरन घास के मैदान की प्राकृतिक सुंदरता को निहार रही थीं। घास का यह मैदान एक प्रमुख पर्यटक स्थल है।

उनके वहां मौजूद रहने के दौरान हवा में गोलियों की आवाजें गूंजने लगीं और पहलगाम के ऊपरी इलाकों में घास के मैदान जल्द ही नरसंहार स्थल के रूप में बदल गए, जहां आतंकवादियों ने 26 लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी। मारे गए लोगों में अधिकतर पर्यटक थे।

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इस हमले में बचने के बाद नेहा ने अपने पति से कहा, ‘‘मैंने जीवन में जरूर कुछ अच्छे कर्म किए होंगे, तभी मैं अभी जीवित हूं।’’

जलगांव से उनके पति तुषार वाघुलाडे ने बताया कि उनकी पत्नी 15 अप्रैल को अपने दोस्तों के साथ कश्मीर गयी थीं।

उन्होंने कहा, ‘‘घूमने गया समूह पहलगाम में था और काम में व्यस्त होने के कारण मैं दो दिनों से उनसे संपर्क में नहीं था। मंगलवार को अपराह्न करीब दो बजे जब मैंने उसे फोन किया तो उसने बताया कि गोलीबारी हो रही है और आतंकवादियों द्वारा हमला किया जा रहा है। उसने मुझे बताया कि वह सुरक्षित है और बाद में मुझसे संपर्क करेगी।’’

तुषार ने कहा, ‘‘वह घबराई हुई लग रही थी और फिर उसने फ़ोन काट दिया, जिससे मैं समझ गया कि मामला कितना गंभीर था।’’

तुषार वाघुलाडे ने बताया, ‘‘शाम साढ़े सात से आठ बजे के बीच उसने मुझे बताया कि वह ठीक है। उसने एंबुलेंस के बारे में बताया और कहा कि और अधिक सुरक्षाकर्मी आ रहे हैं। उसने कहा कि कुछ पर्यटकों की मौत हो गई है, लेकिन उसका समूह सुरक्षित है।’’

तुषार ने कहा, ‘‘सेना ने तेजी से कार्रवाई की और उन्होंने पहले पर्यटकों को वाहनों तथा एंबुलेंसों में छिपाया, जिसके बाद सभी को हमले वाली जगह से लगभग डेढ़ किलोमीटर दूर सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया। कई पर्यटकों ने वहीं रात बिताई।’’

भाषा यासिर हक

हक


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