चंद्रपुर (महाराष्ट्र), 31 दिसंबर (भाषा) महाराष्ट्र के चंद्रपुर के एक किसान की शिकायत के बाद शुरू हुई अवैध किडनी गिरोह की जांच में पूरे भारत में फैले किडनी प्रत्यारोपण नेटवर्क का खुलासा हुआ है, जिसमें एजेंट, अंगदाता, डॉक्टर और अस्पताल शामिल हैं। एक पुलिस अधिकारी ने बुधवार को यह जानकारी दी।
अधिकारी ने कहा कि तमिलनाडु के त्रिची स्थित एक निजी अस्पताल में कई अवैध प्रत्यारोपण ऑपरेशन किए गए।
उन्होंने बताया कि जांच के दौरान दो डॉक्टरों के नाम सामने आने के बाद एसआईटी और स्थानीय अपराध शाखा (एलसीबी) के कर्मियों को दिल्ली और त्रिची में उन्हें हिरासत में लेने के लिए भेजा गया है।
यह जांच चंद्रपुर जिले के एक किसान रोशन कुडे द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत के आधार पर शुरू हुई, जिन्होंने कथित तौर पर स्थानीय साहूकारों से लिए गए ऋण को चुकाने के लिए कंबोडिया में अपनी किडनी बेच दी थी।
चंद्रपुर के पुलिस अधीक्षक सुदर्शन मुम्मका ने बताया कि पुलिस ने अब तक छह साहूकारों को गिरफ्तार किया है।
पुलिस अधीक्षक ने प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘कुछ आरोपियों की विस्तृत जांच के साथ-साथ मोबाइल और तकनीकी डेटा के विस्तृत विश्लेषण से कंबोडिया तक फैले अंतरराष्ट्रीय जुड़ाव और एजेंटों, दाताओं, डॉक्टरों और अस्पतालों की संलिप्तता वाले देशभर में फैले किडनी प्रत्यारोपण नेटवर्क का खुलासा हुआ है।’’
उन्होंने बताया कि आरोपियों में से एक हिमांशु भारद्वाज, जिसने अंगदान किया था, ने स्वीकार किया है कि नयी दिल्ली के डॉ. रविंदर पाल सिंह और त्रिची स्थित ‘स्टार केआईएमएस’ अस्पताल के प्रबंध निदेशक डॉ. राजरत्नम गोविंदास्वामी ने उसकी किडनी सर्जरी द्वारा निकाली थी।
पुलिस अधिकारी ने कहा, ‘‘इन तथ्यों की पुष्टि कृष्णा नामक आरोपी के बयान और तकनीकी साक्ष्यों से हुई है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘जांच में पता चला कि त्रिची के ‘स्टार केआईएमएस’ अस्पताल में कथित तौर पर कई अवैध किडनी प्रत्यारोपण किए गए थे। प्रत्येक किडनी प्रत्यारोपण के लिए 50 से 80 लाख रुपये तक की रकम वसूली गई।’’
जांच के दौरान यह भी सामने आया कि डॉ. रविंदर पाल सिंह इलाज और अस्पताल के खर्चों के लिए लगभग 10 लाख रुपये लेते थे, जबकि डॉ. गोविंदास्वामी लगभग 20 लाख रुपये वसूलते थे। आरोपी कृष्णा उर्फ रामकृष्ण सुंचू ने लगभग 20 लाख रुपये प्राप्त किये।
पुलिस अधीक्षक ने कहा, ‘‘हालांकि, वास्तविक किडनी दानदाताओं को केवल पांच से आठ लाख रुपये ही दिए गए, जो घोर शोषण को उजागर करता है।’’
उन्होंने कहा कि एसआईटी और स्थानीय अपराध शाखा के कर्मियों को दिल्ली में डॉ. सिंह और त्रिची में डॉ. गोविंदास्वामी को गिरफ्तार करने के लिए भेजा गया।
उन्होंने बताया, ‘‘ट्रांजिट रिमांड की कार्यवाही के दौरान, दिल्ली की एक अदालत ने डॉ. सिंह को अंतरिम जमानत दे दी और उन्हें दो जनवरी को चंद्रपुर के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश होने का निर्देश दिया गया है। पुलिस डॉ. गोविंदास्वामी को गिरफ्तार करने के भी प्रयास कर रही है।’’
भाषा शफीक रंजन
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