Bombay High Court: ‘नाबालिग के प्राइवेट पार्ट में मामूली पेनिट्रेशन भी बलात्कार’, हाईकोर्ट ने कहा- ऐसे में सहमति का कोई मतलब नहीं

Bombay High Court: बलात्कार या गंभीर यौन हमले का कृत्य तब पूरा हो जाता है, जब आरोपी पीड़िता के निजी अंगों में कोई भी अंग डालता है। भले ही प्रवेश की मात्रा कानून में अप्रासंगिक है।

Bombay High Court: ‘नाबालिग के प्राइवेट पार्ट में मामूली पेनिट्रेशन भी बलात्कार’, हाईकोर्ट ने कहा- ऐसे में सहमति का कोई मतलब नहीं

Bombay High Court

Modified Date: October 21, 2025 / 08:37 pm IST
Published Date: October 21, 2025 8:37 pm IST
HIGHLIGHTS
  • आरोपी को 10 साल की सश्रम कारावास की सजा
  • हाईकोर्ट की ने POCSO एक्ट की व्याख्या
  • नाबालिग के मामले में सहमति अप्रासंगिक

Bombay High Court: बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने हाल ही में प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंस (POCSO) एक्ट के कड़े प्रावधानों को दोहराते हुए एक महत्वपूर्ण फैसला दिया है। हाईकोर्ट ने कहा कि नाबालिग के मामले में सहमति अप्रासंगिक है और मामूली प्रवेश (Slightest Penetration) भी बलात्कार माना जाता है।

हाईकोर्ट ने वर्धा जिले के हिंगनघाट के 38 वर्षीय ड्राइवर की अपील को खारिज करते हुए दो नाबालिग लड़कियों (5 और 6 वर्ष की आयु) के साथ गंभीर यौन हमले के प्रयास के लिए उसकी 10 साल की सजा और दंड को जारी रखा है। जस्टिस निवेदिता मेहता ने अपने फैसले पर POCSO एक्ट के तहत महत्वपूर्ण कानूनी सिद्धांतों को स्पष्ट किया है।

आरोपी को 10 साल की सश्रम कारावास की सजा

Bombay High Court, आपको बता दें कि यह मामला 19 फरवरी, 2014 का है, जब आरोपी ने कथित तौर पर दोनों नाबालिग लड़कियों को अमरूद का लालच देकर, अश्लील वीडियो दिखाकर और यौन हमला करने की कोशिश की थी। अभियोजन पक्ष ने आरोपी को POCSO एक्ट की धारा 6 और भारतीय दंड संहिता की धारा 376(2)(i) के साथ धारा 511 (बलात्कार का प्रयास) के तहत दोषी ठहराया। निचली अदालत ने आरोपी को 10 साल की सश्रम कारावास की सजा और 50,000 रुपये का जुर्माना लगाया था।

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हाईकोर्ट ने पीड़िताओं और उनकी मां के सुसंगत और विश्वसनीय बयानों के साथ-साथ मेडिकल और फोरेंसिक साक्ष्यों के आधार पर इस सजा को बरकरार रखा है। जस्टिस मेहता ने अपने फैसले में स्पष्ट किया कि POCSO एक्ट के तहत जैसे ही आरोपी पीड़िता के निजी अंगों में कोई भी अंग प्रवेश कराता है, बलात्कार या गंभीर यौन हमला पूरा माना जाता है, चाहे प्रवेश की मात्रा कितनी भी हो।

उन्होंने कहा कि बलात्कार या गंभीर यौन हमले का कृत्य तब पूरा हो जाता है, जब आरोपी पीड़िता के निजी अंगों में कोई भी अंग डालता है। भले ही प्रवेश की मात्रा कानून में अप्रासंगिक है।

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POCSO एक्ट की व्याख्या

Bombay High Court: यह व्याख्या POCSO एक्ट के तहत नाबालिगों के लिए पूर्ण सुरक्षा को मजबूत करती है। जहां सहमति का कोई कानूनी महत्व नहीं है। कोर्ट ने आरोपी के पारिवारिक दुश्मनी के आधार पर झूठे फंसाने के दावे को खारिज कर दिया, क्योंकि इसके समर्थन में कोई ठोस सबूत नहीं था।

इसके अलावा, प्रथम सूचना रिपोर्ट (FIR) दर्ज करने में देरी को उचित ठहराया गया, क्योंकि पीड़िताओं की कम उम्र और आरोपी द्वारा दी गई धमकियों के कारण देरी स्वाभाविक थी। जस्टिस मेहता ने कहा कि अभियोजन पक्ष ने ‘मूल तथ्यों को संदेह से परे साबित किया’ और पीड़िताओं के बयानों की विश्वसनीयता पर जोर दिया, भले ही उनकी उम्र कम थी।

फैसले का एक महत्वपूर्ण पहलू निचली अदालत द्वारा सजा के प्रावधानों के गलत अनुप्रयोग को ठीक करना था।
निचली अदालत ने अगस्त 2019 में संशोधित POCSO एक्ट की धारा 6 का हवाला दिया, जिसमें गंभीर यौन हमले के लिए न्यूनतम 20 साल की सजा का प्रावधान है, हालांकि, चूंकि अपराध 2014 में हुआ था, हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि सजा उस समय के कानून के अनुसार होनी चाहिए। असंशोधित कानून में न्यूनतम 10 साल की सजा का प्रावधान था, जो निचली अदालत ने सही दी थी। POCSO एक्ट की धारा 18 (प्रयास की सजा) का उपयोग भी कानूनी रूप से गलत था, लेकिन हाईकोर्ट ने 10 साल की सजा को संशोधन की आवश्यकता नहीं माना है।

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लेखक के बारे में

डॉ.अनिल शुक्ला, 2019 से CG-MP के प्रतिष्ठित न्यूज चैनल IBC24 के डिजिटल ​डिपार्टमेंट में Senior Associate Producer हैं। 2024 में महात्मा गांधी ग्रामोदय विश्वविद्यालय से Journalism and Mass Communication विषय में Ph.D अवॉर्ड हो चुके हैं। महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा से M.Phil और कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय, रायपुर से M.sc (EM) में पोस्ट ग्रेजुएशन किया। जहां प्रावीण्य सूची में प्रथम आने के लिए तिब्बती धर्मगुरू दलाई लामा के हाथों गोल्ड मेडल प्राप्त किया। इन्होंने गुरूघासीदास विश्वविद्यालय बिलासपुर से हिंदी साहित्य में एम.ए किया। इनके अलावा PGDJMC और PGDRD एक वर्षीय डिप्लोमा कोर्स भी किया। डॉ.अनिल शुक्ला ने मीडिया एवं जनसंचार से संबंधित दर्जन भर से अधिक कार्यशाला, सेमीनार, मीडिया संगो​ष्ठी में सहभागिता की। इनके तमाम प्रतिष्ठित पत्र पत्रिकाओं में लेख और शोध पत्र प्रकाशित हैं। डॉ.अनिल शुक्ला को रिपोर्टर, एंकर और कंटेट राइटर के बतौर मीडिया के क्षेत्र में काम करने का 15 वर्ष से अधिक का अनुभव है। इस पर मेल आईडी पर संपर्क करें anilshuklamedia@gmail.com