मतपत्रों से मतदान की ‘जनता की मांग’ पर विचार करने का निर्वाचन आयोग, शीर्ष अदालत से पटोले का आग्रह

मतपत्रों से मतदान की ‘जनता की मांग’ पर विचार करने का निर्वाचन आयोग, शीर्ष अदालत से पटोले का आग्रह

मतपत्रों से मतदान की ‘जनता की मांग’ पर विचार करने का निर्वाचन आयोग, शीर्ष अदालत से पटोले का आग्रह
Modified Date: December 8, 2024 / 09:39 pm IST
Published Date: December 8, 2024 9:39 pm IST

मुंबई, आठ दिसंबर (भाषा) कांग्रेस की महाराष्ट्र इकाई के प्रमुख नाना पटोले ने राज्य विधानसभा चुनाव में जनादेश को लेकर ‘‘संदेह’’ के मद्देनजर मतपत्र से मतदान कराये जाने की ‘‘जनता की बढ़ती मांग’’ का उच्चतम न्यायालय और निर्वाचन आयोग से संज्ञान लेने का रविवार को आग्रह किया।

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली महायुति द्वारा 288 में से 230 सीट जीतने के बाद विपक्षी महा विकास आघाडी ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएमएस) के खिलाफ अपना अभियान तेज कर दिया है।

पटोले ने दावा किया कि महायुति की जीत लोगों के जनादेश को नहीं दर्शाती है। पटोले ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘राज्य की नयी सरकार को लेकर लोगों में व्यापक भ्रम है। यह सरकार लोगों के जनादेश को प्रतिबिंबित नहीं करती है।’’

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राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) प्रमुख शरद पवार समेत विपक्षी दलों के कई नेताओं ने सोलापुर जिले के मरकडवाडी गांव का दौरा किया और उन ग्रामीणों के साथ एकजुटता व्यक्त की जिन्होंने ईवीएम की विश्वसनीयता पर सवाल उठाते हुए मतपत्रों का इस्तेमाल कर एक ‘मॉक’ ‘‘पुनर्मतदान’’ कराने की कोशिश की थी।

पटोले ने दावा किया, ‘‘यह जनभावना केवल मरकडवाडी तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसकी गूंज महाराष्ट्र के अन्य गांवों में भी है। मतपत्रों के जरिये मतदान कराने की मांग बढ़ रही है और ग्राम सभाएं इस संबंध में प्रस्ताव पारित कर रही हैं।’’

उन्होंने निर्वाचन आयोग और उच्चतम न्यायालय से इस जनभावना का संज्ञान लेने की अपील की।

मामूली अंतर से चुनावी जीत हासिल करने वाले ​​कांग्रेस नेता पटोले ने कहा कि मतदाताओं के इस संदेह को दूर किया जाना चाहिए कि उनका वोट उनके पसंदीदा उम्मीदवार को मिला या नहीं।

उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘मरकडवाडी के निवासियों ने मतपत्रों का इस्तेमाल करके एक मॉक पुनर्मतदान कराने का संकल्प लिया था, लेकिन सरकार ने निर्वाचन आयोग और पुलिस की मदद से उनके प्रयासों को दबा दिया और उनके खिलाफ मामले दर्ज कर दिए।’’

पटोले ने ‘‘76 लाख वोट जोड़े जाने’’ पर निर्वाचन आयोग से स्पष्टीकरण मांगा। पटोले ने कहा, ‘‘वे संतोषजनक स्पष्टीकरण देने में विफल रहे हैं। मतों में हेराफेरी करना लोकतंत्र की दिनदहाड़े हत्या के समान है। अगर लोकतंत्र में इस तरह का असंतोष पैदा होता है, तो इसका समाधान किया जाना चाहिए।’’

पिछले महीने उच्चतम न्यायालय उस याचिका को खारिज कर दिया था जिसमें देश में चुनाव मतपत्रों से कराने का अनुरोध किया गया था। न्यायालय ने कहा था कि ईवीएम से छेड़छाड़ के आरोप तभी लगते हैं जब लोग चुनाव हार जाते हैं। न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति पी बी वराले की पीठ ने टिप्पणी की थी, ‘‘होता यह है कि जब आप चुनाव जीत जाते हैं, तो ईवीएम से छेड़छाड़ नहीं होती है। जब आप चुनाव हार जाते हैं, तो ईवीएम से छेड़छाड़ की गई होती है।’’

भाषा अमित सुभाष

सुभाष


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