मुंबई, चार अप्रैल (भाषा) महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने 10 लाख रुपये की अग्रिम राशि का भुगतान नहीं करने के कारण पुणे के एक अस्पताल द्वारा गर्भवती महिला को भर्ती करने से कथित तौर पर इनकार किए जाने की घटना की जांच के लिए पुणे में तैनात धर्मार्थ विभाग के संयुक्त आयुक्त के नेतृत्व में एक समिति गठित करने का आदेश दिया है।
इस मुद्दे को एक दिन पहले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) विधान परिषद सदस्य (एमएलसी) अमित गोरखे ने उठाया था और एक वीडियो संदेश में उन्होंने कहा कि उनके निजी सहायक की पत्नी तनीषा भिसे को दीनानाथ मंगेशकर अस्पताल ने भर्ती करने से मना कर दिया, जिसके बाद उन्हें दूसरे अस्पताल में ले जाया गया जहां जुड़वां बच्चों को जन्म देने के बाद महिला की मौत हो गई।
मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) की ओर से जारी एक बयान में कहा गया, ‘‘मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने पुणे के दीनानाथ मंगेशकर अस्पताल में भर्ती करने से इनकार किए जाने के बाद एक महिला की मौत की घटना को गंभीरता से लिया है। उन्होंने घटना की जांच के लिए पुणे में तैनात धर्मार्थ विभाग के संयुक्त आयुक्त की अध्यक्षता में एक जांच समिति के गठन का आदेश दिया है।’’
इसमें कहा गया है कि जांच समिति का नेतृत्व पुणे में तैनात धर्मार्थ विभाग के संयुक्त आयुक्त करेंगे और इसमें उप सचिव यमुना जाधव, धर्मार्थ अस्पताल सहायता प्रकोष्ठ के उप प्रमुख के प्रतिनिधि और प्रकोष्ठ के अधिकारी, मुख्यमंत्री सचिवालय और सर जे. जे. अस्पताल समूह मुंबई के अधीक्षक, विधि एवं न्याय विभाग के उप सचिव/अवर सचिव इस जांच समिति के सदस्य सचिव होंगे।’’
इस बीच, दीनानाथ मंगेशकर अस्पताल ने अपनी आंतरिक जांच रिपोर्ट में कहा है कि 10 लाख रुपये की अग्रिम राशि का भुगतान न करने पर गर्भवती महिला को भर्ती करने से इनकार करने के आरोप ‘भ्रामक’ हैं और उसके परिजन द्वारा ये आरोप ‘निराशा में’ लगाए गए हैं।
इसमें कहा गया है कि महिला की गर्भावस्था उच्च जोखिम वाली श्रेणी में थी और उसके सात महीने के कम वजन वाले दो भ्रूणों तथा पुरानी बीमारियों के इतिहास के कारण कम से कम दो महीने तक नवजात को गहन चिकित्सा इकाई (एनआईसीयू) में उपचार की आवश्यकता थी।
इसमें कहा गया है कि उपचार के लिए 10 से 20 लाख रुपये की आवश्यकता थी और परिवार को सलाह दी गई थी कि धन की कमी की स्थिति में वे मरीज को जटिल सर्जरी के लिए सरकारी ससून जनरल अस्पताल में भर्ती करा सकते हैं।
आरोपों के मद्देनजर, अस्पताल ने चार सदस्यीय समिति द्वारा जांच कराई, जिसमें डॉ. धनंजय केलकर (चिकित्सा निदेशक), डॉ. अनुजा जोशी (चिकित्सा अधीक्षक), डॉ. समीर जोग (गहन चिकित्सा इकाई के प्रभारी) और डॉ. सचिन व्यवहारे (प्रशासक) शामिल थे।
समिति ने अपनी जांच रिपोर्ट में दावा किया कि जब महिला के रिश्तेदारों ने डॉ. केलकर से संपर्क किया तो उन्होंने उनको जितना हो सके उतनी राशि का भुगतान करने की सलाह दी, लेकिन उन्होंने सलाह नहीं मानी।
भाषा यासिर संतोष
संतोष