पुणे भूमि सौदा मामला : तेजवानी के ‘ऑफिस ब्वॉय’ ने किए थे अहम दस्तावेजों पर हस्ताक्षर

पुणे भूमि सौदा मामला : तेजवानी के ‘ऑफिस ब्वॉय’ ने किए थे अहम दस्तावेजों पर हस्ताक्षर

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  • Publish Date - December 24, 2025 / 09:47 AM IST,
    Updated On - December 24, 2025 / 09:47 AM IST

पुणे, 24 दिसंबर (भाषा) पुणे में 300 करोड़ रुपये के विवादित जमीन सौदे में मुख्तारनामा (पावर ऑफ अटॉर्नी) धारक शीतल तेजवानी के साथ काम करने वाले एक ‘‘ऑफिस ब्वॉय’’ ने इस मामले से जुड़ी एक निजी कंपनी के साझेदार के तौर पर अहम दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किए थे। अभियोजन पक्ष ने पुणे की एक अदालत को यह जानकारी दी।

अदालत ने मंगलवार को तेजवानी की पुलिस हिरासत 27 दिसंबर तक बढ़ा दी। अभियोजन पक्ष ने दावा किया कि वह जांच में सहयोग नहीं कर रही है।

बावधन पुलिस थाने के एक अधिकारी ने बताया कि तेजवानी अभी पिंपरी-चिंचवड़ नगर में बावधन पुलिस की हिरासत में है। उसे रिमांड अवधि खत्म होने पर पौड इलाके की एक अदालत में पेश किया गया। अदालत ने उसकी पुलिस हिरासत चार और दिनों के लिए बढ़ा दी।

पुलिस हिरासत की अवधि बढ़ाए जाने का अनुरोध करते हुए अभियोजन पक्ष ने अदालत को बताया कि अभी तक की जांच में पता चला है कि तेजवानी के साथ काम करने वाले एक ‘ऑफिस ब्वॉय’ ने अमाडिया एंटरप्राइजेज एलएलपी के साझेदार के तौर पर हलफनामे और अधिकार पत्र जैसे दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किए थे। यह वही कंपनी है जिसने नियमों का उल्लंघन करके मुंढवा में सरकारी जमीन खरीदी।

महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार के बेटे पार्थ अमाडिया एंटरप्राइजेज में सह-साझेदार हैं, लेकिन प्राथमिकी में उनका नाम नहीं है।

अभियोजन पक्ष ने कहा कि पुलिस इन दस्तावेजों की जांच करना चाहती है ताकि यह पता चल सके कि ‘ऑफिस बॉय’ और तेजवानी के बीच कोई वित्तीय लेन-देन हुआ था या नहीं।

इस बीच, सामाजिक कार्यकर्ता अंजली दमानिया और विजय कुंभार ने पिंपरी चिंचवड़ पुलिस को चिट्ठी लिखकर मांग की कि इस मामले में शिकायतकर्ता संयुक्त जिला रजिस्ट्रार संतोष हिंगाने के अलावा पार्थ पवार का नाम भी प्राथमिकी में शामिल किया जाए।

मुंढवा के पॉश इलाके में 40 एकड़ भूमि 300 करोड़ रुपये में अमाडिया एंटरप्राइजेज को बेचे जाने का मामला पिछले महीने उस समय जांच के घेरे में आया था, जब यह पाया गया कि यह भूखंड सरकार का है और इसे बेचा नहीं जा सकता। आरोप है कि कंपनी को 21 करोड़ रुपये के स्टाम्प शुल्क के भुगतान से भी छूट दी गई थी।

आरोप है कि भूमि के 272 ‘मूल वतनदारों’ की मुख्तारनामा धारक तेजवानी ने यह जानते हुए भी बिक्री विलेख निष्पादित किया और संपत्ति अमाडिया एंटरप्राइजेज एलएलपी को बेची कि यह भूमि सरकार की है और इसे बेचा नहीं जा सकता।

आरोप है कि उप-निबंधक रवींद्र तारू ने बिक्री विलेख कराने में सहायता की।

निबंधन महानिरीक्षक कार्यालय के अधिकारियों ने स्टाम्प शुल्क की चोरी के आरोप में दिग्विजय पाटिल, तेजवानी और तारू के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है।

भाषा गोला शोभना

शोभना