शीर्ष अदालत के न्यायाधीश ने न्यायापालिका की खराब अवसंरचना के लिए महाराष्ट्र सरकार की खिंचाई की

शीर्ष अदालत के न्यायाधीश ने न्यायापालिका की खराब अवसंरचना के लिए महाराष्ट्र सरकार की खिंचाई की

शीर्ष अदालत के न्यायाधीश ने न्यायापालिका की खराब अवसंरचना के लिए महाराष्ट्र सरकार की खिंचाई की
Modified Date: February 15, 2025 / 06:54 pm IST
Published Date: February 15, 2025 6:54 pm IST

मुंबई, 15 फरवरी (भाषा) उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति अभय ओका ने शनिवार को न्यायपालिका के लिए अवसंरचना की कमी को लेकर महाराष्ट्र सरकार की आलोचना की, जबकि कर्नाटक सरकार की तरीफ करते हुए कहा कि वहां स्थिति अलग है।

कर्नाटक उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त होने से पहले न्यायमूर्ति ओका बंबई उच्च न्यायालय में न्यायाधीश थे जहां से उन्हें उच्चतम न्यायालय में पदोन्नत किया गया।

अशोक देसाई स्मृति व्याख्यान में ‘हमारी आपराधिक न्याय प्रणाली में क्या समस्या है- कुछ विचार’ विषय पर बोलते हुए न्यायमूर्ति ओका ने कहा, ‘‘हमें महाराष्ट्र सरकार से अवसंरचना प्राप्त कराने में संघर्ष करना पड़ता है। हमारे पास बुनियादी ढांचे की कमी है। महाराष्ट्र सरकार से अवसरंचना प्राप्त करना बहुत मुश्किल है।’’

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उन्होंने कहा कि पुणे में दिवानी अदालत परिसर के न्यायाधीशों के पास अलग से चैंबर भी नहीं हैं। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि पिछले पांच सालों में बदलाव आया है।

कर्नाटक उच्च न्यायालय की कलबुर्गी पीठ को पांच सितारा होटल जैसा बताते हुए न्यायमूर्ति ओका ने कहा, ‘‘कर्नाटक में यह बहुत अलग है। वहां न्यायपालिका जो भी मांगती है, सरकार देती है। लेकिन महाराष्ट्र में परिदृश्य बहुत अलग है।’’

मृत्युदंड पर सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश ने कहा कि वह व्यक्तिगत रूप से इस अवधारणा के खिलाफ हैं और उन्होंने सभी हितधारकों से इस मुद्दे पर चर्चा करने की अपील की।

इस अवसर पर बंबई उच्च न्यायालय की न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे ने कहा कि देश में जनसंख्या के अनुपात में न्यायाधीशों का अनुपात कम है। उन्होंने कहा कि आपराधिक न्याय प्रणाली को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जैसे कि मुकदमों में देरी, अदालतों पर अत्यधिक बोझ और जेलों में बंदियों की अधिक संख्या।

भाषा संतोष माधव

माधव


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