ठाणे की अदालत ने 1994 के हत्या मामले में तीन पुरुषों को बरी किया

ठाणे की अदालत ने 1994 के हत्या मामले में तीन पुरुषों को बरी किया

ठाणे की अदालत ने 1994 के हत्या मामले में तीन पुरुषों को बरी किया
Modified Date: October 23, 2025 / 12:14 pm IST
Published Date: October 23, 2025 12:14 pm IST

ठाणे, 23 अक्टूबर (भाषा) महाराष्ट्र के ठाणे की सत्र अदालत ने तीस साल पहले एक महिला और उसके चार नाबालिग बच्चों की हत्या के आरोपी तीन पुरुषों को बरी कर दिया है।

अपर सत्र न्यायाधीश वी जी मोहिते के 17 अक्टूबर के आदेश की प्रति बुधवार को उपलब्ध कराई गई। आदेश में मोहिते ने कहा कि अभियोजन पक्ष हालात पर आधारित साक्ष्यों की वह कड़ी स्थापित करने में विफल रहा जो आरोपियों को अपराध से जोड़ती है।

अदालत के दस्तावेजों के अनुसार, 16 नवंबर, 1994 को काशीमीरा इलाके के पेनकरपाड़ा स्थित मारवाड चाल में राजनारायण शिवचरण प्रजापति की पत्नी और उनके चार बच्चों की हत्या कर दी गई थी और वे बंद घर में मृत मिले थे।

 ⁠

प्रजापति की शिकायत के आधार पर 48 वर्षीय साहबलाल अमरनाथ चौहान, 53 वर्षीय विजय रामावैध और 51 वर्षीय संजय रामावैध के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। शिकायतकर्ता ने बताया था कि आरोपी उनके पड़ोसी थे।

प्रजापति ने पुलिस को बताया कि आरोप था कि एक आरोपी के बड़े भाई ने शिकायतकर्ता की पत्नी के साथ छेड़छाड़ की थी, जिसके कारण विवाद हुआ। हालांकि, यह मामला सुलझ गया था लेकिन आरोपी उसके परिवार से रंजिश रखता था।

पुलिस ने 1997 में आरोप पत्र दाखिल किया था लेकिन यह मामला 2022 से 2023 के बीच आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद गति पकड़ सका। बचाव पक्ष का प्रतिनिधित्व अधिवक्ता दीपक ठाकुर और सागर कोल्हे ने किया।

चूंकि अपराध का कोई गवाह नहीं था, इसलिए अभियोजन पक्ष पूरी तरह से परिस्थितिजन्य साक्ष्य पर निर्भर रहा।

अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष यह साबित नहीं कर पाया कि घटना के समय आरोपी शिकायतकर्ता के पड़ोसी थे। न्यायाधीश ने कहा कि जहां अपराध के उद्देश्य को स्थापित नहीं किया जा सका, वहीं कोई हथियार या आपत्तिजनक वस्तु भी जब्त नहीं हुई।

अदालत ने सभी तीन आरोपियों को बरी करते हुए कहा, ‘शिकायतकर्ता का अदालत के सामने बयान दर्ज कराते समय आचरण बहुत लापरवाही वाला और अस्वाभाविक था।’

अदालत ने आदेश दिया कि 2022 और 2023 में अपनी गिरफ्तारी के बाद से कारागार में बंद इन आरोपियों को तत्काल रिहा कर दिया जाए यदि वे किसी अन्य मामले में वांछित नहीं हैं।

भाषा सुमित वैभव

वैभव


लेखक के बारे में