उच्च न्यायालय ने गवाहों के बयानों की नकल करने पर नाराजगी जताई
उच्च न्यायालय ने गवाहों के बयानों की नकल करने पर नाराजगी जताई
मुंबई, छह मई (भाषा) गंभीर अपराधों में आरोप पत्र दाखिल करते समय भी जांच अधिकारियों द्वारा गवाहों के बयानों की नकल करने के ‘‘खतरनाक चलन’’ पर संज्ञान लेते हुए, बंबई उच्च न्यायालय ने महाराष्ट्र सरकार से आवश्यक दिशा-निर्देश जारी करने को कहा है।
एक आपराधिक मामले में याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने कहा कि आरोप पत्र में प्रस्तुत गवाहों के बयान इतने समान थे कि ‘‘पैराग्राफ भी एक ही शब्दों से शुरू होते हैं और एक ही शब्दों पर समाप्त होते हैं।’’
औरंगाबाद पीठ की न्यायमूर्ति विभा कंकनवाड़ी और न्यायमूर्ति संजय देशमुख ने हाल में दिए आदेश में कहा कि यदि पुलिस गंभीर मामलों में भी इस तरह से लापरवाही बरत रही है तो यह आपराधिक न्याय प्रणाली के लिए अच्छा संकेत नहीं है।
अदालत ने कहा, ‘‘अब समय आ गया है कि इस मुद्दे का संज्ञान लिया जाए और इस बात पर विचार किया जाए कि जांच अधिकारियों को ऐसे ‘कॉपी-पेस्ट’ बयान दर्ज करते समय क्या कठिनाइयां आती हैं।’’
पीठ ने राज्य सरकार से पुलिस अधिकारियों के लिए विशिष्ट दिशा-निर्देश जारी करने को कहा कि बयान कैसे दर्ज किया जाना चाहिए।
अदालत कुछ व्यक्तियों द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें 17 वर्षीय लड़के को आत्महत्या के लिए कथित रूप से उकसाने के आरोप में उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने का अनुरोध किया गया।
आरोपपत्र पर गौर करने के बाद, अदालत ने कहा कि गंभीर अपराध में भी, जांच अधिकारी ने गवाहों के बयानों को ‘‘शब्दशः कॉपी-पेस्ट’’ किया था।
उच्च न्यायालय ने कहा, ‘‘यहां तक कि पैराग्राफ भी उन्हीं शब्दों से शुरू होते हैं और उन्हीं शब्दों पर खत्म होते हैं।’’
पीठ ने कहा, ‘‘कॉपी-पेस्ट बयानों का चलन खतरनाक है और कुछ मामलों में अनावश्यक रूप से आरोपी को इससे लाभ मिल सकता है। ऐसी परिस्थितियों में वास्तविक मामले की गंभीरता खत्म हो सकती है।’’
उच्च न्यायालय ने सवाल किया कि क्या पुलिस ने गवाहों को बयान दर्ज करने के लिए बुलाया भी था।
अदालत ने मामले में आरोपियों को कोई राहत देने से इनकार कर दिया और कहा कि यह एक गंभीर अपराध है।
उच्च न्यायालय ने अधिवक्ता मुकुल कुलकर्णी को सहायता के लिए नियुक्त किया तथा उनसे आंकड़े एकत्र करने तथा सरकार द्वारा ऐसे उपायों के बारे में सुझाव देने को कहा, जिससे ऐसे चलन को रोका जा सके तथा समग्र जांच की गुणवत्ता में सुधार हो सके।
पीठ मामले में अगली सुनवाई 27 जून को करेगी।
भाषा आशीष माधव
माधव

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