वैष्णव ने साझा मानकों, एआई के नैतिकतापूर्ण उपयोग के लिए स्पष्ट नियमों की वकालत की |

वैष्णव ने साझा मानकों, एआई के नैतिकतापूर्ण उपयोग के लिए स्पष्ट नियमों की वकालत की

वैष्णव ने साझा मानकों, एआई के नैतिकतापूर्ण उपयोग के लिए स्पष्ट नियमों की वकालत की

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Modified Date: May 2, 2025 / 02:48 PM IST
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Published Date: May 2, 2025 2:48 pm IST

मुंबई, दो मई (भाषा) सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने शुक्रवार को साझा मानकों और कृत्रिम बुद्धिमत्ता के नैतिकतापूर्ण उपयोग के लिए स्पष्ट नियमों को लेकर सरकार द्वारा संयुक्त प्रयासों की जोरदार वकालत की।

यहां ‘विश्व श्रव्य, दृश्य और मनोरंजन शिखर सम्मेलन’ (वेव्स) में वैश्विक मीडिया संवाद को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि सरकार, उद्योग और रचनाकारों के बीच गठजोड़ अपरिहार्य हो गया है क्योंकि स्थानीय कहानियों पर अधिक ध्यान दिया जा रहा है।

सूचना एवं प्रसारण मंत्री ने कहा कि वैश्विक मीडिया संवाद रचनात्मकता, संस्कृति और सहयोग पर आधारित है।

विदेश मंत्री एस जयशंकर, सूचना एवं प्रसारण राज्य मंत्री एल मुरुगन और कई देशों के प्रतिनिधियों की मौजूदगी में आयोजित संवाद को संबोधित करते हुए वैष्णव ने कहा, ‘‘एक सरकार के रूप में, हमें सभी को अपनी कहानी दुनिया के सामने दिखाने का उचित अवसर प्रदान करना चाहिए। हमें स्थानीय सामग्री के प्रचार को प्रोत्साहित करना चाहिए और अन्य चीजों के अलावा बौद्धिक संपदा (आईपी) ढांचे को लागू करना चाहिए।’’

वैष्णव ने यह भी कहा कि सरकारों को ऐसी नीतियों का समर्थन करना चाहिए जो सभी सांस्कृतिक रूपों को संरक्षित करती हैं और बढ़ावा देती हैं क्योंकि वे सीमाओं के पार लोगों को जोड़ती हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘अब स्थानीय कहानियों पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। हमारा लक्ष्य लोगों से लोगों और देशों के बीच आदान-प्रदान के वातावरण का निर्माण करना है।’’

वैष्णव ने कहा, ‘‘इसलिए, सरकार, उद्योग और रचनाकारों के साथ गठजोड़ अपरिहार्य हो गया है। व्यावहारिक कदमों में लाइसेंस और प्रतिभाओं की आवाजाही को आसान बनाने के लिए सह-निर्माण संधियां शामिल हैं। हमें नई तकनीक, साझा मानकों के लिए संयुक्त निधि और नैतिकतापूर्ण एआई के लिए स्पष्ट नियमों की आवश्यकता है।’’

मंत्री ने कहा कि इस समय दुनियाभर में मीडिया और मनोरंजन उद्योग लगभग तीन हजार अरब डॉलर का है, लेकिन इसका वास्तविक मूल्य संख्याओं से परे है।

वैष्णव ने कहा, ‘‘यह उस संवेदना में निहित है जो यह पैदा करता है। उन विचारों में है, जो यह व्यक्त करता है। और भविष्य में यह हमें कल्पना करने में मदद करता है।’’

भाषा

भाषा वैभव मनीषा

मनीषा

0205 1358

नननन वैभव नरेश

नरेश

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)