दुनिया भारत को अध्यात्म के लिए महत्व देती है, इसे ‘विश्वगुरु’ मानती है: भागवत
दुनिया भारत को अध्यात्म के लिए महत्व देती है, इसे 'विश्वगुरु' मानती है: भागवत
नागपुर, आठ अगस्त (भाषा) राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने शुक्रवार को कहा कि विश्व भारत को उसके अध्यात्म के लिए महत्व देता है और इस क्षेत्र में देश को ‘विश्वगुरु’ मानता है, बजाय इसके कि वह इस बात से आश्चर्यचकित हो कि उसकी अर्थव्यवस्था कितनी तेजी से बढ़ रही है।
भागवत ने यहां एक मंदिर में आयोजित कार्यक्रम में कहा कि सभी के साथ अच्छाई बांटने और दूसरों के लिए जीने की भावना ही भारत को सचमुच महान बनाती है।
उन्होंने कहा, ‘‘अगर हम 3000 अरब अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बन भी जाएं तो दुनिया को इससे कोई आश्चर्य नहीं होगा, क्योंकि कई देश हैं जिन्होंने यह उपलब्धि हासिल की है। अमेरिका अमीर है, चीन अमीर हो गया है और कई अमीर देश हैं। कई चीजें ऐसी हैं जो अन्य देशों ने की हैं और हम भी करेंगे। लेकिन, दुनिया में अध्यात्म और धर्म नहीं है जो हमारे पास है।’’
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख ने कहा कि यद्यपि ‘‘अर्थ’’ (धन) भी महत्वपूर्ण है और इसलिए सभी क्षेत्रों में प्रगति की आवश्यकता है, लेकिन भारत को सही मायने में ‘‘विश्वगुरु’’ तब माना जाएगा जब देश अध्यात्म और धर्म में आगे बढ़ेगा।
भागवत ने कहा, ‘‘अध्यात्म और धर्म में यह वृद्धि तब होगी जब हम न केवल त्योहार मनाएंगे और अपनी पूजा पद्धति से काम करेंगे, बल्कि हमारा जीवन भी भगवान शिव की तरह इतना निर्भय हो जाएगा कि हम अपने गले में सांप भी धारण कर सकें।’’
भगवान शिव को दूसरों की भलाई के लिए त्याग करने का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा, ‘‘हमारे पास जो गुण, शक्ति और बुद्धि है उसका उपयोग दूसरों के लाभ के लिए किया जाना चाहिए।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हमारे अंदर जो भी अच्छाई है, उसे हमें सबके साथ बांटना चाहिए। बुराई कुछ हद तक मौजूद है, लेकिन उसे रोका जाना चाहिए और उसे फैलने नहीं देना चाहिए। हमें नकारात्मकता को कभी दूसरों को नहीं देना चाहिए। बल्कि, उसे अपने भीतर समेटकर उसे खत्म करना चाहिए। वहीं दूसरी ओर, अच्छाई को बांटनी चाहिए।’’
भागवत ने कहा, ‘‘हमें इसी तरह जीना चाहिए ताकि यह हमें ज्यादा से ज्यादा लोगों से जोड़े। अच्छाई बांटने और दूसरों के लिए जीने की यही भावना भारत को सचमुच महान बनाती है।’’
भाषा
देवेंद्र धीरज
धीरज

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