Navratri 2025 2nd Day Puja: मां ब्रह्मचारिणी की कृपा से खुलते हैं भाग्य के द्वार, जानिए आज की पूजा विधि और मंत्र

नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्माचारिणी की पूजा होती है। वह मां दुर्गा का दूसरा स्वरूप हैं और तप व साधना की प्रतीक मानी जाती हैं। आज के दिन पूजा के साथ उनकी कथा का पाठ अवश्य करना चाहिए, जिससे साधक को संयम, धैर्य और शक्ति की प्राप्ति होती है।

Navratri 2025 2nd Day Puja: मां ब्रह्मचारिणी की कृपा से खुलते हैं भाग्य के द्वार, जानिए आज की पूजा विधि और मंत्र

(Navratri 2025 2nd Day Puja, Image Credit: IBC24 News Customize)

Modified Date: September 23, 2025 / 10:41 am IST
Published Date: September 23, 2025 10:41 am IST
HIGHLIGHTS
  • मां ब्रह्मचारिणी तप, संयम और साधना की देवी हैं।
  • उनकी पूजा से त्याग, वैराग्य और धैर्य की प्राप्ति होती है।
  • कथा में मां पार्वती के कठोर तप का वर्णन मिलता है।

रायपुर: Navratri 2025 2nd Day Puja: शारदीय नवरात्रि का दूसरा दिन मां दुर्गा के ब्रह्मचारिणी स्वरूप की आराधना के लिए समर्पित होता है। ब्रह्म का अर्थ तपस्या है और चारिणी का अर्थ आचरण करने वाली। इस प्रकार मां ब्रह्मचारिणी तप की अधिष्ठात्री देवी मानी जाती हैं। उनका स्वरूप ज्योतिर्मय और तेजस्वी है। दाहिने हाथ में जपमाला और बाएं हाथ में कमंडल धारण किए वे तपस्या और संयम की प्रतीक हैं। इनकी पूजा करने से कुंडली में मंगल दोष भी दूर होता है और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।

मां ब्रह्मचारिणी की पूजा का महत्व

जो भक्त मां ब्रह्मचारिणी की उपासना करते हैं, उन्हें साधना और तप का अद्भुत फल मिलता है। इनकी आराधना से त्याग, वैराग्य, संयम, सदाचार जैसे गुण विकसित होते हैं। कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी साधक अपने कर्तव्य से विचलित नहीं होते। मां की कृपा से जीवन में विजय और सिद्धि की प्राप्ति होती है। साथ ही इच्छाओं और लालसाओं से मुक्ति के लिए भी इस देवी का ध्यान बहुत ही फलदायी माना गया है।

मां ब्रह्मचारिणी की कथा

धार्मिक कथा के अनुसार, देवी ब्रह्मचारिणी का जन्म राजा हिमालय और रानी मेना की पुत्री पार्वती के रूप में हुआ था। उन्होंने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी। हजार वर्ष तक उन्होंने केवल फल और फूल खाकर बिताएं। फिर हजार वर्षों तक केवल जड़ी-बूटियों पर जीवित रहीं और फिर हजार वर्षों तक टूटे हुए बेलपत्र पर खाए। इसके बाद उन्होंने अन्न और जल का भी त्याग कर दिया। ब्रह्मचारिणी देवी की कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर देवताओं और सप्तऋषियों ने उन्हें आशीर्वाद दिया और ‘अपर्णा’ नाम दिया और मनोकामना पूर्ण होने का आशीर्वाद भी दिया। मां ब्रह्मचारिणी की इस कथा का यह सार है कि इसी तरह हमारा जीवन भी कठिनाईयों से भरा होता है, लेकिन मन को विचलित नहीं होने देना चाहिए।

 ⁠

पूजा विधि और सामग्री

नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा पंचामृत स्नान कराकर आरंभ करनी चाहिए। इसके बाद उन्हें अक्षत, कुमकुम, सिन्दूर और सुगंधित पुष्प अर्पित करें। सफेद रंग के फूल, विशेषकर कमल और गुड़हल, चढ़ाना शुभ माना जाता है। मां को मिश्री या सफेद मिठाई का भोग लगाएं और आरती करें। हाथ में पुष्प लेकर मां का ध्यान करते हुए मंत्रों का उच्चारण करें।

मंत्र

दधाना कर पद्माभ्याम अक्षमाला कमण्डलू।
देवी प्रसीदतु मई ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।

इन्हें भी पढ़ें:


सामान्यतः पूछे जाने वाले प्रश्नः

लेखक के बारे में

मैं 2018 से पत्रकारिता में सक्रिय हूँ। हिंदी साहित्य में मास्टर डिग्री के साथ, मैंने सरकारी विभागों में काम करने का भी अनुभव प्राप्त किया है, जिसमें एक साल के लिए कमिश्नर कार्यालय में कार्य शामिल है। पिछले 7 वर्षों से मैं लगातार एंटरटेनमेंट, टेक्नोलॉजी, बिजनेस और करियर बीट में लेखन और रिपोर्टिंग कर रहा हूँ।