छत्तीसगढ़ के इस जलप्रपात के कुंड में सोने की मछली होने का दावा, जानिए क्या है रहस्य
Deodhara Waterfalls छत्तीसगढ़ के इस जलप्रपात के कुंड में सोने की मछली होने का दावा, जानिए क्या है रहस्य
- देवधारा जलप्रपात छत्तीसगढ़ गरियाबंद जिले की मैनपुर से गरीब 35 किलोमीटर घनघोर उदंती के जंगलों में स्थित है। देवधारा नाम सुनते ही कोई आध्यात्मिक देवी स्थल से संबंध होता प्रतीत होता है।
- देवधारा जलप्रपात की पौराणिक मान्यता अनुसार, भगवान राम के बनवास के कुछ पल इन्हीं देवधारा के वादियों में व्यतीत किए गए थे, जिस वजह से इस विशाल जलप्रपात का नाम देवधारा जलप्रपात पड़ा।
- देवधारा जलप्रपात प्राकृतिक सुंदरता से भरी हुई है। चारों तरफ हरी-भरी खूबसूरत वादियों को देखकर जीता जागता स्वर्ग का अनुभव होता है। देवधारा की आकर्षक इतनी कि लोग दूर-दूर से देवधारा के इन वादियों को देखने बरबस ही खींचे चले आते हैं। आए दिन सैलानियों की भीड़ देवधारा की भूमि पर भरी रहती है।
- देवधारा जलप्रपात की सदियों पुरानी रामायण कालीन कथाएं स्थानीय लोगों द्वारा बताई गई है कि देवधारा की इस पावन भूमि पर कभी भगवाना श्री राम जानकी लक्ष्मण अपने वनवास काल के समय यहां आए थे और यहां उनकी आने का कुछ साक्ष्य प्रमाण भी है।
- बारिश के दिनों में देवधारा जलप्रपात को देखने निहारने इसकी खूबसूरती का लुफ्त उठाने देश-विदेश के लोग यहां पहुंचकर अपने जीवन के कुछ सुखद पल इन वादियों के साथ बिताते हैं। देवधारा जलप्रपात में अब तक कई लोग पिकनिक, सैलानियों, यूट्यूब चैनल वाले, डॉक्यूमेंट्री बनाने वाली फिल्म बनाने वाले आते रहते हैं।
- ऐसा स्थानीय लोग बताते हैं जैसे कि पद चिन्ह, सीता स्नान कुंड, बैठने की चौकी, और भी बहुत कुछ, लेकिन इनमें से कई चिन्नरी कुंड के अंदर होने के दावे किए जा रहे हैं। इनका साक्ष्य है या नहीं आधिकारिक तौर पर कहीं पुष्टि नहीं किया गया है। इसके अलावा भी कई मान्यताएं देवधारा को लेकर बताए जा रहे हैं लिखे तो शब्द कम पड़ जाएंगे।
- देवधारा की बात है कहीं जाए तो लाजवाब है लगभग 100 fit करीब से पानी गिरता है। फव्वारे उड़ते हैं जो कि नीचे विशाल कुंड में जाकर मिलते हैं, जिसे देखने लोगों की भीड़ उमड़ पड़ता है। हालांकि यह झरना 12 महीने बहता है पर सैलानियों के लिए सितंबर से जनवरी फरवरी का महीना उत्तम है। गर्मी के दिनों में पानी कम रहता है और जुलाई अगस्त के महीने में जाना संभव नहीं है जान जोखिम हो सकता है।
- अगर हम बात करें तो कुंड की विशेषता की तो काफी रोमांचक और अचरज भरी है। पुरानी मान्यता है कि इस पूर्ण में एक विशालकाय मछली है जो कि सोने के कुंडल आभूषण अलंकार धारण की हुई है। उसे मछली नहीं बल्कि देवता के रूप में पूजा किया जाता है और जिसको भी यह मछली पानी में तैरता दिखा तो मानो उसकी किस्मत खुल गया। उस देवरूपी मछली को देखने से जीवन के सभी काल कष्ट दूर हो जाते हैं मनोकामनाएं पूरी होती है। मनुष्य के जीवन में सुख समृद्धि व शांति का संचार होने लगता है।

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