Raipur News_ हादसे को आमंत्रित कर रहे है मेकाहारा के जर्जर आवास
कर्मचारियों के लिए 30 नए आवास स्वीकृत हैं, वित्त विभाग, लोकनिर्माण विभाग और लाल फीताशाही के बीच आवास निर्माण की फाइल धूल फांक रही
रायपुर.
डॉक्टर भीमराव अंबेडकर अस्पताल को औमतौर पर मेकाहारा यानि मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल रायपुर के नाम से जाना जाता है। राजधानी रायपुर का यह सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल है। छत्तीसगढ़ के अनेक हिस्सों से लोग यहां इलाज के लिए पहुंचते हैं। मगर इस अस्पताल के देवेंद्र नगर परिसर में बने तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों के आवासों का इलाज करने की किसी के पास समय नहीं है। अस्पताल परिसर में तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के 20 से अधिक आवास बेहद जर्जर स्थिति में किसी भी अनहोनी को जन्म दे सकते हैं। करीब डेढ साल पहले देवेंद्र नगर में अस्पताल के तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों के लिए 30 नए आवास बनाने की स्वीकृति मिली थी। लोक निर्माण विभाग ने इसके लिए टेंडर प्रक्रिया भी लगभग पूरी हुई और एस्टीमेट बना कर एक साल पहले चिकित्सा शिक्षा विभाग में जमा कर दिया था। मगर चिकित्सा शिक्षा विभाग, वित्त विभाग और लोकनिर्माण विभाग की आपसी खींचतान और लाल फीताशाही के कारण नए आवास बनाने वाली फाइल धूल फांक रही है। हालात यह हैं कि बेहद जर्जर आवासों में 20 से अधिक परिवार विषम परिस्थितियों के बीच रहने को मजबूर हैं। यहां रहने वाले कर्मचारियों का कहना हैं कि हम छोटी पोस्ट पर काम करते हैं। इसी वज़ह से इतने बड़े अस्पताल में कोई अधिकारी उनकी बात सुनने को राजी नहीं है। कर्मचारियों का कहना हैं कि जर्जर मकानों में यदि कोई हादसा हो गया और जानमाल का नुकसान हो गया तो उसके लिए कौन सा विभाग जिम्मेदार होगा। दिलचस्प बात यह हैं कि मेकाहारा अस्पताल प्रशासन भी नए आवास स्वीकृत होने के बावजूद भी चिकित्सा शिक्षा विभाग और वित्त विभाग के साथ कोई पत्राचार नहीं कर रहा है। रायपुर छत्तीसगढ़ की राजधानी है जहां के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल के जर्जर आवास में 20 से अधिक परिवार रहने को मजबूर है मगर किसी अधिकारी के कान पर जूं भी नहीं रेंग रही। चिकित्सा शिक्षा विभाग और वित्त विभाग की आपसी खींचतान और कमीशनखोरी के चलते डेढ़ साल से नए आवास नहीं बन सके।
नए रायपुर के निर्माण में जोर शोर से जुटी छत्तीसगढ़ सरकार की ऐसे जर्जर आवासो के प्रति लापरवाही चिंताजनक है।

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